नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 31 मई को स्वीडन और बेलारूस के सरकारी दौरा पर रवाना होंगे। स्वीडन के एक समाचार पत्र को बोफोर्स मामले पर दिए गए उनके साक्षात्कार का उनकी इस यात्रा पर कोई असर नहीं होगा। राष्ट्रपति के दौरे के बारे में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) नवतेज शर्मा ने राष्ट्रपति मुखर्जी के बोफोर्स के संबंध में दिए बयान बयान और दौरे पर पड़ने वाले इसके प्रभाव से संबंधित सवालों को कमतर करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, "स्वीडन और बेलारूस में भारत के राष्ट्रपति के पहले दौरे को लेकर हम बहुत उत्साहित हैं।"
स्वीडन के समाचारपत्र को दिए साक्षात्कार से संबंधित प्रश्नों को संवाददाताओं ने जब दोहराया तो उन्होंने कहा कि दौरे के लिए यह प्रासंगिक मुद्दा नहीं है।
उन्होंने कहा, "हमें उस विषय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो इस दौरे पर प्रमुख हैं। दौरे के बारे में आप जितनी चाहें हम उतनी बात कर सकते हैं।"
राष्ट्रपति 31 मई से दो जून तक स्वीडन के दौरे पर रहेंगे और दो जून से चार जून तक बेलारूस के दौरे पर रहेंगे। इस दौरे पर उनके साथ वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय विश्वविद्यालयों के निदेशक और उद्योगपति भी जाएंगे।
संवाददाताओं ने जब स्वीडन में भारत की राजदूत बनश्री बोस हैरिसन द्वारा 'डेजेन्स नेहतर' को मुखर्जी के बयान को संपादित करने के लिए कहे जाने और राष्ट्रपति के दौरे को रद्द किए जाने की आशंकाओं के बारे में सवाल पूछा तो मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "राजदूत ने ऐसी कोई भी धमकी नहीं दी है।"
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमोनी भी इस प्रेस वार्ता में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के दौरे को लेकर तैयारियां चल रही हैं।