नयी दिल्ली: संसद का लगभग एक महीने तक चलने वाला शीतकालीन सत्र नवंबर के चौथे सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि सत्र के दौरान कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा। सत्र की लगभग 20 बैठक होने की संभावना है और यह क्रिसमस से पहले समाप्त हो जाएगा। महामारी के मद्देनजर, संसद का शीतकालीन सत्र पिछले साल आयोजित नहीं किया गया था और इसके बाद के सभी सत्रों-- बजट और मानसून सत्रों-- की अवधि में भी कोविड के कारण कटौती की गई थी।
सूत्रों ने कहा कि हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि सत्र 29 नवंबर से शुरू हो सकता है और 23 दिसंबर के आसपास समाप्त होगा। सरकार के पास शीतकालीन सत्र को 15 नवंबर से शुरू करने का भी प्रस्ताव है। हालांकि, लोकसभा और राज्यसभा दोनों की बैठक एक ही समय पर होगी और सदस्य शारीरिक दूरी के मानदंडों का पालन करेंगे। पहले कुछ सत्रों में, दोनों सदनों की कार्यवाही अलग-अलग समय पर होती थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसद परिसर के अंदर अधिक लोग मौजूद न हों।
संसदीय कार्य मंत्रालय ने भी स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कोविड-19 प्रोटोकॉल पर चर्चा शुरू कर दी है। केंद्र के मॉनसून सत्र में अपनाए जाने वाले प्रोटोकॉल को जारी रखने की संभावना है। केंद्र ने संसद में वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके दस्यों के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट की आवश्यकता को समाप्त कर दिया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों से बिना वैक्सीनेशन वाले कर्मचारियों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने सांसदों की जांच की और पाया कि सभी सदस्यों ने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली है। इसमें मॉनसून सत्र के दौरान छूटे हुए सदस्य भी शामिल हैं।
शीतकालीन सत्र में, परिसर और मुख्य संसद भवन में प्रवेश करने वालों को हर समय मास्क पहनना होगा और उन्हें कोविड जांच से गुजरना पड़ सकता है। इस बार शीतकालीन सत्र का कुछ खास महत्व है क्योंकि यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले होगा। इन चुनावों को 2024 के आम चुनावों के लिए सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है।