नई दिल्ली: लोकसभा में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा पेश अविश्वास प्रस्ताव पर बहस शुरू होते ही बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर पूरे दिन चर्चा होगी और वोटिंग शाम छह बजे होगी। उन्होंने कहा कि सदन दोपहर का भोजन भी नहीं करेगा। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा अध्यक्ष से बहस के लिए अधिक समय की मांग करते हुए कहा कि उनकी पार्टी को आवंटित किया गया 38 मिनट का समय पर्याप्त नहीं है। (लोकसभा में शुरू हुई मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा )
उन्होंने तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दलों और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सदस्यों के लिए भी अधिक समय की मांग की। खड़गे ने कहा,"यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रस्ताव है। देश हमें देख रहा है कि हम क्या कहेंगे और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देगी। समय सीमित मत कीजिए। ऐसे कई उदाहरण हैं जब दो, तीन या पांच दिनों के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की गई है। इसलिए अगर आप पांच घंटे देती हैं तो यह उचित नहीं है।" संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खड़गे वरिष्ठ नेता हैं लेकिन उन्हें यह समझने की जरूरत है कि एकदिवसीय क्रिकेट युग में पांच दिनों का टेस्ट मैच खेलने की जरूरत नहीं है।
केंद्रपड़ा से सांसद बैजयंत जय पांडा के इस्तीफे के बाद लोकसभा में बीजद के 19 सांसद हैं, जो सदन से वॉकआउट कर गए। बीजद के नेता भर्तुहरी महताब ने कहा कि पिछले 14 सालों में ओडिशा के साथ अन्याय हुआ है और केंद्र में भाजपा सरकार राज्य के हितों की रक्षा करने में विफल रही है। महताब ने कहा, "पिछले 14 वर्षों में बीजद ने देखा है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने 10 वर्षों तक और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने चार वर्षों से ओडिशा के साथ अन्याय किया है और इस चर्चा से ओडिशा को मदद नहीं मिलने जा रही। इसलिए हम इसमें हिस्सा नहीं लेने जा रहे।" इस अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) का समर्थन प्राप्त है।