नई दिल्ली: कोरोना काल की वजह से इस बार संसद के मानसून सत्र के दौरान कई बदलाव किए गए हैं और संसद की कार्यवाही को चलाने के लिए कुछ नियमों में बदलाव हुआ है। लोकसभा अध्यक्ष ने संसद में प्रश्नकाल को लेकर भी नियम बदले हैं और विपक्षी दल लोकतांत्रिक व्यवस्था का हवाला देते हुए इसको लेकर कई सवाल कर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि संसदीय परंपरा में ऐसा पहली बार हो रहा है। भारत की संसद के इतिहास में अभी से पहले 4 बार प्रश्नकाल को खत्म किया जा चुका है। 1962 में 13 दिन, 1971 में 15 दिन, 1975 में 14 दिन और 1976 में 11 दिन के लिए संसद में प्रश्नकाल को स्थगित किया गया था।
- 1962 में जब चीन और भारत के बीच युद्ध छिड़ा था तो 26 नवंबर 1962 से 11 दिसंबर 1962 के दौरान संसद में प्रश्नकाल को खत्म किया गया था। उस समय आपात स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया था।
- इसके बाद 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था तो उस समय भी आपात स्थिति को देखते हुए 6 दिसंबर 1971 से 23 दिसंबर 1971 के दौरान 14 दिनों के लिए प्रश्नकाल को समाप्त किया गया था।
- 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई थी तो 21 जुलाई 1975 से 7 अगस्त 1975 के दौरान संसद में प्रश्नकाल नहीं हुआ था
- 1976 में 44वें संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा करने के लिए आपातकालीन सत्र बुलाया गया था और उस समय भी 25 अक्तूबर 1976 से 5 नवंबर 1976 के दौरान 11 दिन के लिए प्रश्नकाल स्थगित हुआ था।
कैसा रहा है प्रश्न काल का हालिया अतीत
- साल 2018 में लोकसभा में शीतकालीन सत्र में प्रश्न काल के दौरान महज 27 फीसदी काम हुआ इसका कारण विपक्षी सदस्यों का हंगामा।
- बीजेपी जब विपक्ष में थी तो 2012 के मॉनसून सत्र में महज 6% और 2013 के शीतकालीन सत्र में महज 2 फीसदी काम।
- बजट सत्र 2019 राज्य सभा में -प्रश्न काल 0 फीसदी।
- 2016 शीतकालीन सत्र राज्यसभा 0 फीसदी।
- 2009 के बाद प्रश्न काल के लिए आवंटित समय का 90% बर्बाद हुआ सिवाय 2016 और 2019 के।
- 2016 के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में महज 29% और राज्यसभा में भी एक भी प्रश्न नहीं (डिमोनेटाइजेशन)
- 2018 प्रश्न काल का 11% लोकसभा में (रॉफेल )..3% राज्य सभा में।
राज्यसभा के पिछले 6 सत्रों में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने लगातार प्रश्न काल को निलंबित करने का नोटिस दिया। विपक्षी सांसदों द्वारा राज्यसभा के पिछले सत्र में हीं 23 दिन में से 15 दिन प्रश्न काल को निलंबित करने का नोटिस दिया गया था। 2015 से 2019 के बीच प्रश्न काल के लिए आवंटित समय का 61% उपयोग में जबकि इसी अवधि में राज्यसभा में सिर्फ 40% का उपयोग हुआ जहां विपक्षी दल बहुमत में हैं।
प्रश्नकाल में टूटा 47 वर्षों का रिकॉर्ड
ओम बिरला ने सरकार को अधिक से अधिक जवाबदेह बनाने के लिए प्रश्नकाल के दौरान व्यवस्थाओं में भी अमूलचूल बदलाव किए। उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे छोटे प्रश्न पूछें, मंत्रियों से भी कहा कि वे भी संक्षिप्त उत्तर दें। इसकी नतीजा यह रहा कि 1972 के बाद पहली बार 27 नवम्बर 2019 को प्रश्नकाल में 20 तारांकित प्रश्नों को लिया जा सका।
दुगुने हुए प्रश्नों के उत्तर
लोकसभा अध्यक्ष के प्रयासों से प्रश्नकाल के दौरान सरकार की ओर से आने जवाबों में भी तेजी आई। वर्ष 1996 से फरवरी 2019 के बीच प्रश्नकाल के दौरान औसतन 3.35 प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर दिए गए वहीं इस एक वर्ष में प्रश्नकाल के दौरान औसतन 6.68 प्रश्नों के उत्तर दिए गए।