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पेट्रोल-डीजल से कितनी जेब भर रही सरकार? संसद में बतानी पड़ी सच्चाई

देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 27 फरवरी से एक समान बनी हुई हैं लेकिन आज लोकसभा में सरकार ने स्वीकार किया कि पेट्रोल-डीजल से उसकी अच्छी खासी कमाई हो रही है। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 15, 2021 18:52 IST
Modi government admits to earning Rs 33 per litre from petrol, Rs 32 from diesel- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 27 फरवरी से एक समान बनी हुई हैं। 

नई दिल्ली: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 27 फरवरी से एक समान बनी हुई हैं लेकिन आज लोकसभा में सरकार ने स्वीकार किया कि पेट्रोल-डीजल से उसकी अच्छी खासी कमाई हो रही है। सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया कि 6 मई 2020 के बाद से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार से क्रमश: 33 रुपये और 32 रुपये प्रति लीटर की कमाई हो रही है जबकि मार्च 2020 से 5 मई 2020 के बीच उसकी ये आय क्रमशः 23 रुपये और 19 रुपये प्रति लीटर थी। सरकार ने कहा कि एक जनवरी से 13 मार्च 2020 के बीच सरकार की पेट्रोल और डीजल से प्रति लीटर क्रमश: 20 रुपये और 16 रुपये की कमाई हो रही थी। इस तरह अगर 31 दिसंबर 2020 से तुलना की जाए तो सरकार की पेट्रोल से कमाई 13 रुपये और डीजल से 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है।

इससे पहले लोकसभा में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस, जदयू सहित कई दलों के सदस्यों ने प्रश्नकाल के दौरान पेट्रोलियम पदार्थो की बढ़ती हुई कीमतों पर सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण की मांग की कि कीमतों को कम करने की दिशा में क्या कदम उठाये गए हैं और क्या सरकार का विचार पेट्रोलियम उत्पादों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का है। निचले सदन में सदस्यों के पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पेट्रोल, डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों पर कुछ कर राज्य लगाते हैं और कुछ केंद्र लगाते हैं। ऐसे में राज्य सरकार भी इन पर कर कम करें और हम (केंद्र) भी ऐसा करें, दोनों इस बारे में विचार करें। 

ठाकुर ने कहा, ‘‘जहां तक पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का सवाल है, इस विषय को जीएसटी की शुरूआत के समय खुला रखा गया था। इसमें कहा गया था कि जीएसटी परिषद में राज्य और केंद्र मिलकर तय कर सकते हैं कि इसे कब इसके दायरे में लाना है।’’ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मिथुन रेड्डी ने इस पर कहा कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें स्थिर रहने के बाद भी पेट्रोल, डीजल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सीधा सवाल था कि सरकार कीमतों को कम करने के लिये क्या कदम उठा रही है और क्या इसे जीएसटी के दायरे में लाया जायेगा?’’

कांग्रेस के के. मुरलीधरन ने भी पेट्रोल, डीजल की कीमतों में वृद्धि से सरकार को काफी राजस्व होने की बात कही और पूछा कि सरकार बताये कि क्या पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने से कीमतें कम होंगी? सरकार की सहयोगी जदयू के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि जब जीएसटी लाया गया था तब अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कर ढांचा था, इसलिये ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की व्यवस्था के तौर पर जीएसटी लाया गया था। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों पर अलग-अलग कर लगाया जा रहा है। सिंह ने मंत्री से कहा, ‘‘आप बात को गोल-गोल घुमाने के बजाए यह बतायें कि वित्त मंत्रालय जीएसटी परिषद में यह प्रस्ताव कब ले जायेगा।’’

शिवसेना, बसपा और कुछ अन्य दलों के सदस्यों को भी प्रश्न पूछने वाले सांसदों के समर्थन में कुछ कहते देखा गया। इस पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मार्च 2020 में कच्चे तेल की कीमत 19 डॉलर प्रति बैरल थी और अभी यह करीब 65 डॉलर प्रति बैरल है। पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के संबंध में उन्होंने कहा कि अभी तक कोई राज्य ऐसा प्रस्ताव लेकर नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर राज्य समझते हैं कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए, तब केंद्र को इस पर चर्चा करने में कोई आपत्ति नहीं है।’’ इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों कच्चा तेल, पेट्रोल डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस को अभी जीएसटी के दायरे में लाने की कोई योजना नहीं है।

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