नई दिल्ली: कर्नाटक में गठबंधन सरकार के बारे में कांग्रेस-जदएस नेताओं द्वारा बार-बार सार्वजनिक बयानबाजी किये जाने से आहत पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने ने कहा कि कर्नाटक में कभी भी मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का जिस तरह का बर्ताव है, वह जनता देख रही है। मैं कह नहीं सकता कि यह सरकार कब तक टिकेगी। देवगौड़ा के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल और तेज हो गई है।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी तरफ से कोई खतरा नहीं है। उन्हें नहीं पता कि यह सरकार कब तक टिकेगी। यह कुमारस्वामी के नहीं बल्कि कांग्रेस के हाथ में है। उन्होंने कैबिनेट में अपनी एक जगह भी कांग्रेस को दे दी। कांग्रेस ने जो कहा, सब कुछ जदएस ने किया। देवगौड़ा की यह टिप्पणी सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं द्वारा राज्य में लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद सार्वजनिक रूप से बार-बार मतभेद उजागर करने की पृष्ठभूमि में आयी है।
दोनों पार्टियां इस लोकसभा चुनाव में राज्य की कुल 28 सीटों में से मात्र एक-एक सीट ही जीत पायी थीं जबकि भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की। उल्लेखनीय है कि दो निर्दलीय विधायकों को हाल में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी नीत कैबिनेट में शामिल किया गया है जिसका परोक्ष तौर पर लक्ष्य 13 महीने पुराने गठबंधन को मजबूती प्रदान करना है।
बुधवार को राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता सिद्धरमैया द्वारा कथित रूप से यह कहे जाने के बारे में पूछे जाने पर कि गठबंधन सही तरह से काम नहीं कर रहा है और अकेले चुनाव लड़ने पर पार्टी ने अच्छा किया होता, देवगौड़ा ने कहा, ‘‘मैं फिलहाल प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता, काफी समय है।’’
कुछ नेताओं द्वारा यह विचार व्यक्त करने के बारे में पूछे जाने पर कि गठबंधन से दोनों पार्टियों को नुकसान हो रहा है, जदएस प्रमुख ने कहा कि गठबंधन का विचार उनका नहीं बल्कि गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का था।
देवगौड़ा ने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा था हम यह (गठबंधन सरकार) नहीं चाहते लेकिन परमेश्वर और मुनियप्पा ने हमसे सम्पर्क किया। (मल्लिकार्जुन) खड़गे ने कहा कि हमें यह आदेश दिया गया है कि यह सुनिश्चित करें कि यह स्वरूप ले।’’ जी परमेश्वर, के एच मुनियप्पा और मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं।