नई दिल्ली: विपक्ष की ओर से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार होंगी। बता दें कि 17 विपक्षी दलों की बैठक में मीरा कुमार के नाम पर सहमति बनी और ये फैसला लिया गया। बड़ी खबर ये है कि मायावती ने भी राष्ट्रपति उम्मीदवार पर रूख बदला है और मीरा कुमार का समर्थन करेंगी। गौरतलब है कि राजग ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवरा चुना है, जो कि दलित हैं। ऐसे में यूपीए ने भी मीरा कुमार को चुनकर राष्ट्रपति चुनाव में दलित कैंडिडेट उतार दिया है।
मीरा कुमार का जीवन परिचय-
पूर्व उपप्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार को सर्वसम्मति से लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया था। वह लोकसभाध्यक्ष के पद पर आसीन होने वाली पहली दलित महिला हैं। वह कांग्रेस महासचिव और कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य भी रह चुकी हैं।
वर्ष 1945 में पटना में जन्मीं और दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज व मिरांडा हाउस से शिक्षा ग्रहण करने वाली मीरा कुमार, कानून में स्नातक और अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं। वर्ष 1973 में वह भारतीय विदेश सेवा (IFS) के लिए चुनी गईं। इसके बाद स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त रहीं लेकिन अफसरशाही उन्हें रास नहीं आई और उन्होंने राजनीति में कदम बढ़ाने का फैसला किया।
मीरा कुमार ने अपना राजनीतिक सफर उत्तर प्रदेश से शुरू किया। वर्ष 1985 में बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में उन्होंने यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और कद्दावर दलित नेता रामविलास पासवान को पराजित कर पहली बार संसद में कदम रखा। हालांकि इसके बाद हुए चुनाव में वह बिजनौर से पराजित हुई। इसके बाद उन्होंने अपना क्षेत्र बदला और 11 वीं तथा 12 वीं लोकसभा के चुनाव में वह दिल्ली के करोलबाग संसदीय क्षेत्र से विजयी होकर फिर संसद पहुंचीं।
इसके बाद बिहार के सासाराम संसदीय क्षेत्र में 1998 और 1999 के चुनावों में बीजेपी के मुनिलाल ने उन्हें पराजित कर दिया। लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में पासा पलट गया, मीरा कुमार ने मुनिलाल को 2,58,262 मतों से हरा दिया। उस समय इन्हें पहली बार केन्द्र में मंत्री पद भी प्राप्त हुआ और सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया।