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PM डिग्री विवाद पर मीडिया को जिम्मेदार रुख अपनाना चाहिए था: अमित शाह

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिक डिग्री को लेकर उठे विवाद को गैर जिम्मेदाराना तरीके से पेश करने के लिए मीडिया की आलोचना की। इंडिया

India TV News Desk
Updated : May 10, 2017 19:34 IST
amit shah
amit shah

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिक डिग्री को लेकर उठे विवाद को गैर जिम्मेदाराना तरीके से पेश करने के लिए मीडिया की आलोचना की।

इंडिया टीवी के ‘संवाद’ कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मीडिया ने एक जिम्मेदार तरीके से अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया। शाह ने कहा, ‘मीडिया को समझना चाहिए कि अगर प्रधानमंत्री की डिग्री को लेकर सवाल उठाए गए...आप राजनीति के स्तर को कहां ले जा रहे है। अगर मैं डिग्री नहीं दिखाता तो सच कभी सामने नहीं आता। मीडिया को एक जिम्मेदार रुख अपनाना चाहिए था।’

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आर्थिक मोर्चे पर सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए शाह ने कहा, ‘थोक मूल्य सूचकांक गिर गया है। विकास दर में बेहद सुधार हुआ है और हमनें चीन को पीछे छोड़ दिया है। एफडीआई प्रवाह में वृद्धि हुई है। मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटा, राजकोषीय घाटे में कमी आई है। विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ गया है। दुनिया की अर्थव्यवस्था में पिछले 2 सालों में 68% की वृद्धि हुई है।

सत्ता में दो साल पूरे होने पर उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक विभाग की सरकार ने हर 15 दिन में नई योजना शुरू की है। शाह ने कहा, ‘पिछले दो वर्षों में केंद्र ने प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा बैंक योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मिशन इंद्रधनुष, उड़ान योजना, वन रैंक वन पेंशन, स्मार्ट सिटी मिशन, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, उज्ज्वला योजना आदि शुरु की।’

आगे उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य गरीब वर्ग का उत्थान और आर्थिक विकास के क्षेत्र में भारत को आगे लाना है। शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो पहल की है उसके सकारात्मक परिणाम आए है। 2015 में भारत में यूरिया का सर्वाधिक मात्रा में उत्पादन हुआ, गांवों में सबसे ज्यादा एलपीजी कनेक्शन दिए गए, सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन, सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन, सबसे ज्यादा हाईवे का निर्माण, आजादी के बाद मोटर कार का उच्चतम उत्पादन हुआ। 2015 में विश्व बैंक की व्यापारी सूची में भारत ने ऊंची उड़ान भरी।

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले पर सरकार द्वारा सोनिया गांधी को निशाना बनाए जाने के आरोप को लेकर शाह ने कहा, ‘पिछले 10 सालों में एक सरकार थी जो 12 लाख करोड़ के घोटालों (2जी, अगस्ता वेस्टलैंड, आदर्श, राष्ट्रमंडल खेल, कोयला घोटाला) में शामिल थी। सभी घोटाले उनके शासन में हुए और सारे केस उन्हीं के कार्यकाल के दौरान दर्ज किए गए। शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘जो भी अपने देश के लिए वफादार है, वह इसे लूटे नहीं।’

उत्तराखंड संकट के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा, ‘उन्होंने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, जम्मू-कश्मीर को खो दिया। 19 मई को वो 2-3 और राज्य खो देंगे। यह जनता का फैसला है बीजेपी का नहीं। जब आप सरकार चलाते है तो उसे नियंत्रित करने की जिम्मेदीर भी आपकी है। अगर आपके (कांग्रेस) विधायक बगावत कर रहे है तो यह आपकी समस्या है, हमारी नहीं।’

पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा अनावश्यक बयान जो प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाते है के बारे में पूछा तो शाह ने कहा, ‘हमारी सरकार की धारणा लोगों के बीच में अच्छी है। लोग मोदी जी की नीतियों का समर्थन कर रहे हैं। यह मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह तथ्यों की सही ढंग से पेश करें। इस तरह की बयानबाजी कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान भी हुई थी। किसी को डरने की जरुरत नहीं है। यह सरकार सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर विश्वास करती है और यही हमारी प्रतिबद्धता है। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार भारत के संविधान के अनुसार चलाई जाएगी।’

दादरी की घटना पर बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘मीडिया ने दादरी की घटना को संवेदनशील बना दिया। मोदी जी ने इस पर बोला है। मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं चर्च पर हमले के मुद्दे चुनाव के दौरान ही क्यों उठते है, केवल चुनाव के दौरान असहिष्णुता पर बहसबाजी क्यों होती है?’

देश में आरक्षण प्रणाली पर एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘मोहन भागवत ने कभी नहीं कहा कि वे आरक्षण के खिलाफ थे।’ उन्होंने कहा कि आरक्षण की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय बहस की जरुरत हैं, लेकिन अभी आरक्षण की समीक्षा करने का समय नहीं है।

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