नई दिल्ली। बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश सहित सभी राज्यों की भंग चल रही प्रदेश इकाईयों के गठन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। इस कार्य की निगरानी का जिम्मा दो वरिष्ठ नेताओं आकाश आनंद और रामजी गौतम को सौंपा गया है। बसपा की शनिवार को यहां आहूत विशेष राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करते हए मायावती ने मुसलमानों से अपील की कि वे भावनाओं में ना बहें, बल्कि मौके की नजाकत को समझते हुए पूरे सूझबूझ से काम लें, क्योंकि कांग्रेस ने पहले ’’इमोशनल’’ राजनीति करके मुस्लिम समाज का लगातार घोर शोषण किया।
उन्होंने कहा “अब भाजपा उनसे दो कदम आगे बढ़कर उनकी भावनाओं को लगातार भड़काने वाला काम करके उन्हें नये-नये तरीके से प्रताड़ित कर रही है। इसके विरुद्ध भी बसपा का संघर्ष हमेशा की तरह अब भी लगातार जारी है और आगे भी जारी रहेगा।" करीब सवा दो घण्टे तक चली बैठक में बसपा सांसदों और विधायकों सहित अन्य नेताओं ने भाग लिया। इस दौरान बसपा प्रमुख ने सभी राज्यों की भंग चल रही प्रदेश इकाईयों के गठन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा। पार्टी सूत्रों के अनुसार उन्होंने गौतम और अपने भतीजे आनंद की निगरानी में उत्तर प्रदेश की जिला और ब्लॉक स्तरीय इकाईयों का गठन करने को कहा है।
बैठक में माजूद बसपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली को जिला एवं ब्लॉक इकाईयों में पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को उपयुक्त जगह देकर पार्टी के आंदोलन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने को कहा है। उन्होंने गौतम और आनंद को अन्य राज्यों की भंग चल रही प्रदेश इकाईयों के गठन की प्रक्रिया भी यथाशीघ्र पूरी करने को कहा। बैठक में पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के अलावा उत्तर प्रदेश के सभी बसपा सांसद और विधायक भी मौजूद थे।
बसपा के एक नेता ने बताया कि मायावती ने पार्टी नेताओं को हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की जीत का जिक्र करते हुए कहा कि AAP ने बसपा के मिशन के रास्ते पर चल कर ही चुनाव में जीत हासिल की है। उन्होंने इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बसपा के आंदोलन को मजबूत करने का पार्टी नेताओं को निर्देश दिया। इसके अलावा उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर पार्टी नेताओं से प्रतिरोध जारी रखने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही मायावती ने पार्टी नेताओं से पार्टी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने के लिये भी कहा कि वे अपना प्रतिरोध जारी रखें, लेकिन कानून हाथ में लेकर नहीं।