नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के सदमे से विपक्षी पार्टियां अभी तक उबर नहीं पाई हैं। इसके चलते विपक्षी गठबंधन में जहां टूट के संकेत मिल रहे हैं वहीं अधिकतर पार्टियों में आपसी मतभेद और इस्तीफों का दौर देखने को मिल रहा है। अधिकतर गैर राजग दलों के अंदर गहमागहमी बढ़ती जा रही है क्योंकि नेता एवं कार्यकर्ता अशांत और तनावग्रस्त नजर आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का ‘महागठबंधन’ भारत के सबसे बड़े राज्य में भाजपा के प्रभुत्व का पहला शिकार बना। बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन तोड़ते हुए हार के लिए ‘‘निष्प्रभावी’’ सपा पर आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने वस्तुत: स्वीकार किया कि ‘‘प्रयोग’’ असफल रहा। तीनों पार्टियों ने राज्य के उपचुनावों में अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
कर्नाटक में जनता दल (एस) भी इस तपिश को महसूस कर रहा है क्योंकि कांग्रेस और जनता दल (एस) के दावों के बावजूद प्रदेश प्रमुख ए. एच. विश्वनाथ सत्तारूढ़ गठबंधन में संकट का हवाला देकर पार्टी छोड़ रहे हैं। गठबंधन में फूट उभर रही है और कई नेता कर्नाटक में भाजपा के पाले में जाने को तैयार हैं।
पश्चिम बंगाल में भी लोकसभा चुनाव के नतीजे उत्प्रेरक का काम कर रहे हैं क्योंकि दो विधायकों सहित पार्टी के कई नेता भाजपा के साथ हाथ मिलाने वाले हैं। पूर्वी राज्य में 18 सीटें जीतकर आक्रामक भाजपा दावा कर रही है कि ममता बनर्जी की पार्टी के नेता भाजपा में शामिल होने को तैयार हैं। इधर, राजस्थान में भी कांग्रेस इकाई के अंदर अशांति देखी जा रही है। हाल में सम्पन्न लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
कुछ इसी तरह की खबरें मध्य प्रदेश से आ रही हैं जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी सदस्यों को एकजुट करने तथा सरकार बचाने के लिये जद्दोजहद कर रही है। मध्य प्रदेश में बसपा और निर्दलियों के समर्थन से कांग्रेस सरकार चला रही है। गुजरात में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भाजपा खेमे में जाने की अटकलों के बीच ऐसा ही हाल गुजरात कांग्रेस में भी नजर आ रहा है। हरियाणा में हाल में प्रदेश समन्वय समिति की बैठक के दौरान नेताओं ने एक दूसरे पर उंगलियां उठाईं।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अपना खाता खोलने में नाकाम रही और मध्य प्रदेश में सिर्फ एक सीट जीत पाई। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल के विधायक पद से इस्तीफे के बाद से महाराष्ट्र कांग्रेस के अंदर भी अनबन की खबरें आ रही हैं। ऐसी अटकलें हैं कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं।