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मन की बात: प्लास्टिक, एवरेस्ट, गिल्ली-डंडा, INSAV तारिणी- जानें PM मोदी ने क्या-क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्लास्टिक के प्रतिकूल प्रभावों की बात की और लोगों से प्लास्टिक और निम्न श्रेणी की सामग्री से बनी वस्तुओं का उपयोग न करने की अपील की...

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : May 27, 2018 15:31 IST
Mann Ki Baat: PM Narendra Modi discourages use of plastic | PTI
Mann Ki Baat: PM Narendra Modi discourages use of plastic | PTI

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को प्लास्टिक के प्रतिकूल प्रभावों की बात की और लोगों से प्लास्टिक और निम्न श्रेणी की सामग्री से बनी वस्तुओं का उपयोग न करने की अपील की। प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 44वें संस्करण में कहा, ‘मैं हर किसी से इस विषय के महत्व को समझने की अपील करता हूं। आइए हम सुनिश्चित करें कि हम पॉलिथिन और निम्न श्रेणी की प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करेंगे क्योंकि प्लास्टिक प्रदूषण से प्रकृति, वन्यजीव और यहां तक कि हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।’

भारत 5 जून को वैश्विक विश्व पर्यावरण दिवस समारोह आयोजित करेगा। मोदी ने इस बारे में कहा कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में देश की भूमिका बढ़ रही है। इस साल के पर्यावरण दिवस का विषय 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' है। मोदी ने आगे कहा कि पिछले कुछ सप्ताहों में देश के कुछ हिस्सों में धूल भरी आंधी, तेज हवाएं और बेमौसम भारी बारिश हुई, जिससे जिंदगियों और सामान का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, ‘मौसम में अचानक होने वाले ये बदलाव हमारी जीवन शैली में बदलाव का परिणाम हैं। हमें प्रकृति के साथ सद्भावना के साथ रहना होगा।’

एवरेस्ट फतह करने वालों को सराहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले 5 जनजातीय छात्रों को रविवार को बधाई देते हुए INSAV तारिणी के महिला दल के दुनिया के चक्कर लगाने के कीर्तिमान को भी सराहा। महाराष्ट्र के चंद्रपुर के एक आश्रम स्कूल के जनजातीय छात्रों मनीषा ध्रुव, प्रमेश आले, उमाकांत माधवी, कविदास कामटोड़े और विकास सोयम ने 16 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट फतह की थी। मोदी ने कहा, ‘आश्रम स्कूल के इन छात्रों का प्रशिक्षण अगस्त 2017 में शुरू हुआ था, जिसमें इन्होंने वर्धा, हैदराबाद, दार्जिलिंग और लेह-लद्दाख को कवर किया था। इन युवा लड़के और लड़कियों को 'मिशन शौर्या' के तहत चुना गया था। अपने नाम की तरह इन्होंने अपने साहस के साथ एवरेस्ट फतह कर देश का नाम रोशन किया।’

मोदी ने एवरेस्ट फतह करने के लिए 16 साल की शिवांगी पाठक को भी सराहा। पाठक नेपाल के भाग वाले एवरेस्ट फतह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बन गई हैं। उन्होंने कहा, ‘कई सदियों से एवरेस्ट चुनौतियां देता रहा है और लंबे समय से जाबांज लोग इस चुनौती को जीतते रहे हैं।’ उन्होंने अजीत बजाज और उनकी बेटी के बारे में भी बात की, जो एवरेस्ट फतह करने वाली पहली बाप-बेटी की जोड़ी है। मोदी ने एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले सीमा सुरक्षाबल (BSF) समूह के बारे में बात करते हुए कहा कि यह दल एवरेस्ट से लौटते हुए वहां जमा कूड़े को ढोकर लाया था। मोदी ने कहा, ‘यह सराहनीय काम है। इससे स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का पता चलता है।’

INSAV तारिणी के महिलाओं के दल को भी बधाई दी
मोदी ने दुनिया का चक्कर लगाने वाली INSAV तारिणी के महिलाओं के दल को भी बधाई दी। इस टीम का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने किया। इसमें लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, पी. स्वाति और लेफ्टिनेंट एस.विजया देवी, बी.ऐश्वर्या और पायल गुप्ता हैं, जिन्होंने सितंबर 2017 में गोवा से इस सफर की शुरुआत की थी। 

मोदी ने कहा, ‘भारत की इन 6 बहादुर बेटियों ने INSAV तारिणी पर सवार होकर 250 से अधिक दिनों तक पूरी दुनिया का चक्कर लगाया और ये 21 मई को वतन लौटीं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्होंने विभिन्न महासागरों और समुद्रों का पार करते हुए लगभग 20,000 समुद्री मील की दूरी तय की। मोदी ने कहा, ‘मैं इन जाबांजों को, विशेष रूप से इन बेटियों को तहे दिल से बधाई देता हूं।’

भारत के पारंपरिक खेलों पर भी बोले PM मोदी
मोदी ने खो-खो व गिली-डंडा जैसे भारत के पारंपरिक खेलों के धीरे-धीरे लुप्त होने की बात उठाते हुए स्कूलों व युवा संगठनों से इन्हें बढ़ावा देने का आग्रह किया।  उन्होंने कहा, ‘जो खेल कभी पड़ोस की हर गली में खेले जाते थे और हर बच्चे की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हुआ करते थे, वे अब धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं। गर्मियों की छुट्टियों में इन खेलों का खास स्थान होता था। इन खेलों को बच्चे अत्यधिक उत्साह के साथ घंटों खेलते थे। कुछ खेलों में पूरे परिवार की भागीदारी दिखती थी।’ पिट्ठू, खो-खो, गिली-डंडा, लट्टू, पतंग उड़ाने जैसे कुछ अन्य खेलों का नाम लेते हुए मोदी ने कहा कि ये खेल कश्मीर से कन्याकुमारी व कच्छ से कामरूप तक हर बच्चे के जीवन से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा, ‘बेशक इन खेलों को इनके स्थान के नाम के आधार पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है।’

उन्होंने कहा, ‘इन खेलों में हमारे देश की विविधता में निहित एकता देखी जा सकती है। एक ही खेल को विभिन्न जगहों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक खेलों को इस तरह से बनाया गया है कि ये शारीरिक क्षमता के साथ तार्किक सोच, एकाग्रता, सर्तकता व ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते थे। मोदी ने कहा, ‘इनमें भाग लेने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। इन खेलों को छोटे बच्चे से लेकर दादा-दादी तक साथ खेलते थे।’ उन्होंने कहा कि इनमें से बहुत से खेल लोगों को समाज, पर्यावरण व दूसरे क्षेत्रों के बारे में जागरूक करते थे। उन्होंने कहा, ‘आज यह महत्वपूर्ण है कि स्कूल, पड़ोस व युवा संगठन आगे आए और इन खेलों को बढ़ावा दें। जन समूहों के जरिए हम पारंपरिक खेलों का एक बड़ा संग्रह बना सकते हैं।’

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