नयी दिल्ली: आजादी के बाद देश के सबसे बड़े कर सुधार कहे जाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चारों बिलों को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद द्वारा जीएसटी विधेयकों को पारित किए जाने का स्वागत किया। हालांकि, उन्होंने इस बात को नजर अंदाज करने का प्रयास किया कि जीएसटी उनके कार्यकाल में पारित नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि जो बीत गया वो बीत गया।
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राज्यसभा में आसानी से बिल पास कराने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि यह नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था पासा पलटने वाली होगी। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि इसके क्रियान्वयन में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी से संबंधित लंबित मुद्दों को हल करने के लिए रचनात्मक सहयोग होना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या इस उपाय से सकल घरेलू उत्पाद, जीडीपी, को बढ़ाने में मदद मिलेगी, सिंह ने कहा कि यह पासा पलटने वाला हो सकता है। लेकिन हमें यह नहीं मानना चाहिए कि इसके रास्ते में दिक्कत नहीं आएगी। संघीय सरकार और राज्यों को लंबित मुद्दे सुलझाने के लिए रचनात्मक सहयोग की भावना से काम करना चाहिए।
मनमोहन सिंह की भूमिका को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "मैं इस बात से बहुत खुश हूं कि जब देशहित की बात आई तो सभी दल और नेता एक साथ हैं, यह एक ऐतिहासिक दिन है। जीएसटी का सभी दलों की सहमित से पास होना भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा है।'' उन्होंने कहा कि इस बिल का क्रेडिट किसी एक व्यक्ति या सरकार को नहीं बल्कि सभी को जाता है।