श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से राज्य में सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में आयी रिपोर्टों को सार्वजनिक करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जनता को जानने का अधिकार है कि विधायकों को कौन खरीद रहा था। मलिक द्वारा अपने फैसले के बचाव के बाद उन्होंने यह मांग की। मलिक ने विधानसभा भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए दावा किया कि ‘‘बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त’’ चल रही थी और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं’’ वाले दलों के लिए स्थिर सरकार बनाना असंभव होता। उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य के हित और इसके संविधान के अनुरूप यह फैसला लिया।
मलिक ने कहा, ‘‘पिछले 15 से 20 दिन में, मुझे बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त की खबरें मिलती रही हैं। विधायकों को धमकाया जा रहा है और पर्दे के पीछे से कई तरह के सौदे चल रहे हैं।’’ गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद, राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया। पीडीपी ने नेकां और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। पीडीपी के दावे के बाद दो सदस्यीय पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने भी भाजपा और अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया था।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा भंग किए जाने के एक दिन बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने प्रदेश में सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त और धन के उपयोग संबंधी दावों की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘जब राज्यपाल ने खुद स्वीकार किया है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है, पैसे का लेन-देन हो रहा है, तो लोग यह जानना चाहेंगे कि यह सब कौन कर रहा है। यदि राज्यपाल के पास ऐसी रिपोर्ट हैं तो उन्हें इसे सार्वजनिक करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ये आरोप हमारे नहीं हैं। वो तो राज्यपाल हैं, जिन्होंने कहा है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है और पैसे दिये जा रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि किसकी तरफ से ये पैसे दिये गये? हम जानना चाहते हैं कि किसके कहने पर ये पैसे दिये जा रहे हैं और किसे खरीदा जा रहा है?’’ उमर ने कहा कि राज्यपाल ने पीडीपी के दावे को स्वीकार नहीं करने के कारण दिये। उनका कहना है कि अलग-अलग विचारधारा की पार्टियां एक साथ आकर स्थिर सरकार कैसे दे सकती है। इसपर मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपने 2015 में यह सवाल किया था जब भाजपा और पीडीपी ने गठबंधन किया था। उस समय मैंने उसे उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव को साथ आना बताया था किंतु आपने तब तो कुछ भी नहीं किया। उन्होंने कहा कि धन के इस्तेमाल और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप एनसीपी--पीडीपी-कांग्रेस के महागठबंधन पर नहीं लगाए जा सकते। मलिक का संकेत दूसरे पत्र की ओर है जिसमें पीपुल्स कांन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया।