मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को आए सियासी भूचाल का असर अभी भी खत्म नहीं हुआ है। सूबे में राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति बरकरार है। इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कई नेता उपमुख्यमंत्री अजित पवार को ‘घरवापसी’ के लिए मनाने में जुटे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्या कारण है कि एनसीपी सुप्रीमो ने अपने भतीजे अजित को पार्टी से अभी तक बाहर नहीं निकाला है, और अभी भी उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है।
विशेषज्ञों की मानें तो इसके 2 प्रमुख कारण हो सकते हैं। पहला तो यह कि शरद पवार नहीं चाहते होंगे कि परिवार टूटे और वह इसे बचाने की पूरी कोशिश करेंगे। अजित के पार्टी से बाहर होने पर यदि बहुत ज्यादा नहीं तो थोड़ा-बहुत असर पड़ेगा ही। ऐसे में पवार की पूरी कोशिश होगी कि अजित मान जाएं और पार्टी में वापस चले आएं। वहीं, दूसरी तरफ यदि वह अजित को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाते हैं तो उनकी पार्टी से एक विधायक कम हो जाएगा। इसके अलावा अजित की विधायकी भी बच जाएगी और वह अगले 5 सालों तक इस पद पर रहेंगे।
इस बीच महाराष्ट्र में सरकार पर सस्पेंस एक दिन के लिए और बढ़ गया जब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की याचिका पर मंगलवार को सुबह साढ़े दस बजे अपना आदेश पारित करेगा। शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस यह मांग कर रहे थे कि विश्वास मत आज कराने का आदेश दिया जाए, जिसका फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विरोध किया था।