नई दिल्ली: महाराष्ट्र में अगले 72 घंटे राज्य की सियासत के साथ ही देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के लिए अहम हैं। ऐसे में नई सरकार के गठन की उल्टी गिनती भी शुरू हो चुकी है। वहीं अब संघ ने शिवसेना-बीजेपी के बीच झगड़ा सुलझाने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी को दी है। संघ ने नितिन गडकरी को दोनों के बीच के गतिरोध को दूर करने को कहा है। संभावना है कि आज मुख्यमंत्री फडणवीस दिल्ली जाकर पहले गडकरी और फिर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर सकते हैं।
गौरतलब है कि 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आज तेरहवां दिन है लेकिन सरकार पर सस्पेंस बरकरार है। शिवसेना मुख्यमंत्री पद और फिफ्टी-फिफ्टी फॉर्मूले को लेकर मानने के मूड में नहीं है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि वो पुराने प्रस्ताव पर ही बात करेगी। जो बात तय हुई थी उसी पर शिवसेना बनी रहेगी।
संजय राउत ने कहा कि सीएम पर चुनाव से पहले सहमति बनी थी। उसके मुताबिक गठबंधन हुआ और बीजेपी के साथ चुनाव लड़ा। राउत ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लगता है तो शिवसेना उसके लिए जिम्मेदार नहीं। अब कोई प्रस्ताव न आएगा न जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और शिवसेना के नेता बैक चैनल बातचीत शुरू करेंगे। बीजेपी मंत्रियों की संख्या और विशेष मंत्रालय को लेकर अपना रुख ज्यादा कठोर नहीं रखेगी। सीएम, गृहमंत्रालय और स्पीकर का पद बीजेपी के पास ही रहेगा। इन गतिविधियों से लग रहा है कि आज महाराष्ट्र के लिए बड़ी खबर का दिन हो सकता है क्योंकि आज बीजेपी की कोर कमेटी शिवसेना के साथ बातचीत की शुरुआत करेगी। बीजेपी दो दिन के अंदर सारे विवाद सुलझाकर सरकार बना लेना चाहती है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल 7 नवंबर तक का इंतज़ार करेंगे, उसके बाद अपनी रिपोर्ट केन्द्र को भेज सकते हैं। शरद पवार भी आज दोपहर 12.30 बजे एक प्रेस कांफ्रेंस करने वाले हैं जिसके बाद स्थिति और साफ हो सकती है। आज सीएम फडणवीस के आवास पर बीजेपी कोर कमेटी की बैठक भी होगी। इससे पहले मंगलवार को सारी सियासी सरगर्मी मुंबई में होती रही। सभी सियासी दलों ने अलग अलग मीटिंग की।
विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं और बहुमत का गणित 145 है। सबसे बड़े दल यानी बीजेपी के पास 105 सीटें हैं, वहीं शिवसेना के पास 56 विधायक हैं। दूसरी ओर एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायकों का समर्थन है। बीजेपी से अलग होने पर शिवसेना को सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस दोनों के सहयोग की जरूरत होगी।