मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को कांग्रेस और राकांपा का समर्थन मिलने की स्थिति में महाराष्ट्र में अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार का गठन करने में अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि क्षेत्रीय नेता ठाकरे (59) सत्ता की साझेदारी के लिए हुई खींचतान को लेकर एक राष्ट्रीय पार्टी (भाजपा) के खिलाफ खड़े हुए। उन्होंने कहा कि अब, उन्हें एक नेता के रूप में अपनी साख साबित करनी होगी, जो कांग्रेस और राकांपा जैसी उन पार्टियों के साथ एक नया राजनीतिक रास्ता बना सकते हैं, जो वैचारिक रूप से अलग हैं।
विश्लेषक ने कहा, ‘‘एक राष्ट्रीय पार्टी के साथ समझौता होगा और यह देखना होगा कि वह (कांग्रेस अध्यक्ष) सोनिया गांधी को उन्हें समर्थन देने के लिए कैसे समझा पायेंगे। क्या वह उग्र हिंदुत्व के रूख को नरम करेंगे, जिसका सहारा शिवसेना लेती है, या एक समस्या खड़ी होगी, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।’’
ठाकरे के लिए एक और चुनौती यह होगी कि क्या वह मुख्यमंत्री पद स्वीकार करेंगे, हालांकि पहली बार विधायक बने उनके बेटे आदित्य को पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में पेश करने के लिए कुछ क्षेत्रों में मांग उठ रही है। विश्लेषक ने कहा, ‘‘अगर किसी और को (मुख्यमंत्री) बनाया जाता है तो पार्टी पर संकट आ सकता है। यदि किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है तो मतभेद हो सकते हैं।’’
करीब 20 साल पहले ठाकरे को एक अनिच्छुक राजनेता के रूप में देखा जाता था जो अपनी पत्नी रश्मि और पुत्रों आदित्य तथा तेजस के साथ आरामदायक जीवन व्यतीत कर रहे थे। विश्लेषक ने कहा कि राजीव गांधी, जिन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी की मदद करते हुए राजनीति शुरू की थी, की तरह उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बाल ठाकरे की मदद करते हुए राजनीति शुरू की थी।