मुंबई: महाराष्ट्र में जारी घमासान के बीच देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफा सौंपा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। उन्होंने अपने इस्तीफे का ऐलान करने के दौरान कहा था कि "उप मुख्यमंत्री पद से अजित पवार के इस्तीफे के बाद हमारे पास बहुमत नहीं है। हमें महसूस हुआ कि हमारे पास संख्या बल नहीं है और हम खरीद-फरोख्त में शामिल नहीं होना चाहते।" दरअसल, इससे पहले डिप्टी सीएम अजित पवार अपने पद से इस्तीफा दे चुके थे।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "महाराष्ट्र में शिवसेना की तुलना में भाजपा के लिए ज्यादा जनादेश था। हमें 105 सीटें मिलीं, हमने सरकार बनाने की कोशिश भी की।" उन्होंने शिवसेना पर हमला बोलते हुए कहा कि "हमने शिवसेना से कभी सीएम पद का वादा नहीं किया था।"
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना का "हिंदुत्व सोनिया गांधी के चरणों मे नतमस्तक हो गया है। मुझे संदेह है कि तीन पहियों की सरकार कैसे चलेगी।" वहीं, उन्होंने अजित पवार के इस्तीफे के बारे में बताते हुए कहा कि "अजित पवार ने सिर्फ इतना कहा कि व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे रहा हूं।"
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को निर्देश दिया था कि वह बुधवार को शाम पांच बजे तक विधानसभा में अपना बहुमत साबित करें। न्यायालय ने कहा कि बहुमत परीक्षण में विलंब होने से ‘खरीद फरोख्त’ की आशंका है। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विधान सभा चुनाव के नतीजों की घोषणा हुए एक महीना हो गया लेकिन अभी तक अनिश्चितता बनी है।
पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में खरीद फरोख्त जैसी गैरकानूनी गतिविधयों पर अंकुश लगाने और अनिश्चितता खत्म करके स्थिर सरकार सुनिश्चित करने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना न्यायालय के लिए जरूरी हो गया है। सदन में तत्काल शक्ति परीक्षण ही इसका सबसे प्रभावशाली तरीका है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से कहा कि वह अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करें और यह सुनिश्चित करें कि सारे निर्वाचित सदस्य बुधवार को शाम पांच तक शपथ ग्रहण कर लें ताकि सदन में शक्ति परीक्षण हो सके।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि शक्ति परीक्षण के लिए गुप्त मतदान नहीं होगा और सदन की सारी प्रक्रिया का सीधा प्रसारण होगा। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अस्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति सिर्फ इसी कार्य के लिए तत्काल की जाएगी। पीठ ने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में जहां, अगर सदन में शक्ति परीक्षण में विलंब हुआ, खरीद फरोख्त की आशंका है, न्यायालय के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए इसमें हस्तक्षेप करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी स्थिति में तत्काल शक्ति परीक्षण ही संभवत: सबसे प्रभावी तरीका होगा।’’