Wednesday, October 30, 2024
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महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर लंबा होता इंतजार, शिवसेना अपने रुख पर कायम

ठाकरे ने बृहस्पतिवार को घंटे भर तक चली शिवसेना के नये विधायकों की बैठक की अध्यक्षता की जिस दौरान विधायकों ने दोहराया कि लोकसभा चुनाव से पहले पदों और जिम्मेदारियों के समान बंटवारे के जिस विचार पर सहमति बनी थी, उसे लागू किया जाना चाहिए। 

Reported by: Bhasha
Published on: November 07, 2019 19:58 IST
Uddhav Thackeray- India TV Hindi
Image Source : TWITTER उद्धव ठाकरे

मुंबई। महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर इंतजार और लंबा हो गया जहां भाजपा ने अब तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है, वहीं शिवसेना बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद की साझेदारी पर अड़ी है। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के हवाले से कहा गया कि भाजपा उनसे तभी संपर्क साधे जब मुख्यमंत्री पद शिवसेना को देने के लिए तैयार हो।

ठाकरे ने बृहस्पतिवार को घंटे भर तक चली शिवसेना के नये विधायकों की बैठक की अध्यक्षता की जिस दौरान विधायकों ने दोहराया कि लोकसभा चुनाव से पहले पदों और जिम्मेदारियों के समान बंटवारे के जिस विचार पर सहमति बनी थी, उसे लागू किया जाना चाहिए। शिवसेना विधायकों ने प्रस्ताव पारित कर उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र में सरकार गठन का अंतिम फैसला लेने के लिए अधिकृत किया।

उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में उनके बांद्रा स्थित आवास “मातोश्री” में हुई पार्टी के विधायकों की बैठक समाप्त होने के बाद, सभी विधायक रंगशारदा होटल गए, जो पार्टी प्रमुख के आवास के नजदीक ही स्थित है। सरकार गठन को लेकर अनिश्चितता और विधायकों के दल-बदल की आशंका के बीच इन विधायकों को इस होटल में ठहराया गया।

शिवसेना विधायक सुनील प्रभु ने कहा, “मौजूदा स्थिति में सभी विधायकों का साथ रहना जरूरी है। उद्धव जी जो भी फैसला लेंगे, हम सब उसे मानने के लिए बाध्य होंगे।”

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कहा कि सरकार गठन पर शिवसेना के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। सभी विधायक उद्धव का समर्थन करते हैं। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीतिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार लोग राज्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर कहा कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।

शिवसेना अपने उस रुख पर कायम है कि लोकसभा चुनावों से पहले इस साल फरवरी में, यह तय हुआ था कि भाजपा और पार्टी के बीच पदों एवं जिम्मेदारियों को साझा किया जाएगा। शिवसेना जहां मुख्यमंत्री पद को साझा करने पर जोर दे रही है वहीं भाजपा ने इससे साफ इनकार कर दिया है।

भाजपा और शिवसेना मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर उलझी हुई है जिससे 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में गठबंधन को 161 सीट मिलने के बावजूद सरकार गठन को लेकर गतिरोध बना हुआ है। 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनावों में भाजपा को 105 सीटें, शिवसेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।

इस बीच महाराष्ट्र के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि ने राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले किसी दल के सरकार गठन के लिए दावा पेश नहीं करने पर कोश्यारी द्वारा कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त किये जाने की अटकलें हैं।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में कहा कि देवेंद्र फडणवीस को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया है। सरकार उनके नेतृत्व में बननी चाहिए। गडकरी ने खुद के मुख्यमंत्री बनने की अटकलों को खारिज कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत का नाम महाराष्ट्र में सरकार गठन संबंधी कदमों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘देवेंद्र फडणवीस नई सरकार का नेतृत्व करेंगे।’’

महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मुंबई में राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार गठन में देरी के कानूनी पहलुओं पर बातचीत की। राज्यपाल से मिलने वालों में मंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल तथा अन्य मंत्री सुधीर मुणगंतीवार एवं गिरीश महाजन शामिल हैं।

राज्य विधानसभा के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कालसे ने कहा कि अगर कोई पार्टी नई सरकार के गठन का दावा नहीं करती तो निर्णय राज्यपाल को लेना होगा। कालसे ने कहा कि इस स्थिति में कोश्यारी सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर पहली पार्टी नई सरकार बनाने में असमर्थता जाहिर करती है तो सरकार दूसरे सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेगी।’’

उन्होंने कहा कि नई विधानसभा का पहला सत्र आयोजित करने का फैसला नई सरकार के मंत्रिमंडल की पहली बैठक में लिया जाता है। जब तक नया मुख्यमंत्री नहीं बनता, नई विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया जा सकता। कालसे ने कहा कि संविधान में कार्यवाहक सरकार का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन केंद्र में भी इस तरह के मामले देखे जाते रहे हैं। महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में सोचने के लिए अभी बहुत समय है।

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