मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने बृहस्पतिवार को कहा कि मौजूदा प्रदेश पार्टी नेतृत्व में ‘ईर्ष्या और द्वेष’ के लक्षण दिखते हैं। भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की जयंती के उपलक्ष्य में पर्ली में एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से बातचीत में खडसे ने दूसरे कार्यकाल में महज 80 घंटे तक मुख्यमंत्री रह पाने के लिए देवेंद्र फडणवीस पर कटाक्ष भी किया।
उन्होंने अपना यह आरोप भी दोहराया कि उनकी बेटी रोहिणी खडसे और पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे को इस साल अक्टूबर में प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान हराने के पीछे कोई साजिश थी । हालांकि, खडसे ने कहा कि वह भाजपा से ‘‘नाखुश नहीं’’ हैं । पंकजा मुंडे भी कार्यक्रम में मौजूद थीं। खडसे ने कहा, ‘‘गोपीनाथ मुंडे नेक और उदार नेता थे। हालांकि, मौजूदा पार्टी नेतृत्व में ‘ईर्ष्या और द्वेष’ का भाव है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कुछ लोगों पर भरोसा किया लेकिन उन्होंने हमसे छल किया । एक महीने में ही महाराष्ट्र में 80 घंटे के मुख्यमंत्री हुए। समय-समय पर चमत्कार होता रहता है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘ विधानसभा चुनाव में मेरी जीत सुनिश्चित थी लेकिन मुझे टिकट नहीं दिया गया। इसके उलट मेरी बेटी चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी लेकिन उसे लड़ने के लिए मजबूर किया गया।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा के विकास के लिए जिन लोगों ने काम किया उनकी उपेक्षा की जा रही है और पार्टी में उनका अपमान हो रहा है ।
ओबीसी नेता खडसे ने कहा, ‘‘एक समय भाजपा का मजाक बनाया जाता था कि यह अगड़ी जातियों और कारोबारियों की पार्टी है, लेकिन वह गोपीनाथ मुंडे थे जिन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम किया। उन्होंने ओबीसी के कई नेताओं को उभरने और जगह बनाने में मदद की। ’’ बाद में, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खडसे ने दावा किया कि बिना उनकी सहमति के फडणवीस प्रदेश के भाजपा प्रमुख नहीं बन पाते ।
खडसे ने कहा, ‘‘गोपीनाथ मुंडे ही थे, जिन्होंने मुझसे देवेंद्र फडणवीस को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति की मंजूरी देने को कहा । (मुंडे के) जोर पर मैं उन्हें ना नहीं कह पाया। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं देवेंद्र फडणवीस का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं , जिन्होंने राकांपा नेता अजित पवार की मदद से 23 नवंबर को 80 घंटे की सरकार बनायी तथा औरंगाबाद में गोपीनाथ मुंडे के स्मारक से जुड़े कार्यों को मंजूरी दी। फडणवीस ने उन तीन दिनों में फैसला लिया और 26 नवंबर को त्यागपत्र दे दिया।’’