मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे औरंगाबाद जिला परिषद चुनाव को लेकर नव नियुक्त मंत्री अब्दुल सत्तार से ‘निराश’ हैं, जहां विद्रोह और ड्रॉ के बाद महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) अध्यक्ष पद जीत सका। सत्तार अक्टूबर में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से शिवसेना में शामिल हो गए थे। उनपर औरंगाबाद के शिवसेना नेताओं के एक वर्ग ने ‘नुकसान’ पहुंचाने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उन्होंने जिला परिषद के उपाध्यक्ष पद के लिए एमवीए समर्थित कांग्रेस के उम्मीदवार को अपना समर्थन नहीं दिया। उपाध्यक्ष पद पर भाजपा का उम्मीदवार निर्वाचित हुआ है।
एमवीए जब से सत्ता में आया है, तब से गठबंधन में शामिल तीनों दलों ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए ऐेसे स्थानीय चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला किया है। शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘‘सत्तार के पास अपने समर्थकों के लिए कुछ योजनाएं हैं, इसलिए वह जिला परिषद चुनाव में एक विकल्प पर विचार कर रहे थे। बहरहाल, उद्धव जी ने उन्हें एमवीए के बने रहने के महत्व के बारे में साफ-साफ बता दिया था।’’
नेता ने कहा, ‘‘उद्धवजी सत्तार से निराश हैं और यह मंत्री को स्पष्ट कर दिया गया है।’’ सत्तार ने रविवार को उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। औरंगाबाद जिले के सिल्लोड से विधायक ने कहा, ‘‘ मैंने पूरे मामले पर उद्धव जी को अपना पक्ष बता दिया है। मैं शिवसेना का हिस्सा हूं और मैं पार्टी नहीं छोड़ रहा हूं। मैं उद्धव जी से कल (सोमवार) शाम मिल रहा हूं।” शिवसेना के बागी देवयानी डोंगांवकर के साथ गठजोड़ करके रविवार को एमवीए के मीना शेल्के को ड्रॉ के जरिए औरंगाबाद जिला परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। डोंगांवकर निर्वर्तमान अध्यक्ष हैं। भाजपा के लहनू गायकवाड़ को उपाध्यक्ष चुना गया।