मुंबई: करीब महीने भर से ज्यादा राजनीतिक असमंजस की स्थिति के बाद आखिरकार आज महाराष्ट्र में नई सरकार का शपथ ग्रहण हो गया। शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उद्धव ठाकरे ने प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उनकी राजनीति में एंट्री 2002 में हुई थी। 2019 का विधानसभा चुनाव उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था। लेकिन शिवसेना का सीएम बनाने की मांग पर वे अड़े रहे और बीजेपी से गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन हासिल कर लिया।
एकनाथ शिंदे: उद्धव के साथ एकनाथ शिंदे ने भी मंत्री पद की शपथ ली है। वे लगातार चौथी बार शिवसेना के विधायक बने हैं। उन्होंने ठाणे की कोपरी-पंचपखाड़ी से विधानसभा चुनाव जीता है। शिंदे शिवसेना विधायक दल के नेता हैं और उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी माने जाते हैं।
सुभाष देसाई: शिवसेना कोटे से सुभाष देसाई ने भी मंत्री पद की शपथ ली। वे गोरेगांव से विधानपरिषद सदस्य हैं और शिवसेना के थिंक टैंक माने जाते हैं। वे बाला साहेब के बेहद करीबी रहे हैं और उन्हीं के कहने पर राजनीति में आए। उन्होंने पत्रकारिता को छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
जयंत पाटिल: जयंत पाटिल इस्लामपुर सीट से NCP विधायक हैं और शरद पवार के बेहद करीबी भी हैं। एनसीपी विधानमंडल के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने अजित पवार को मनाने में अहम भूमिका निभाई। शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने में भी इनकी काफी अहम भूमिका रही। जयंत पाटिल 1999-2008 तक वित्त मंत्री रहे और
9 बजट पेश करने का रिकॉर्ड इनके नाम है।
छगन भुजबल: महाराष्ट्र में एनसीपी के दिग्गज नेता छगन भुजबल पहले शिवसेना में थे उसके बाद कांग्रेस में गए और फिर एनसीपी में आए। महाराष्ट्र सदन घोटाले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। करीब 2 साल बाद उन्हें जमानत मिली। गठबंधन बनाने में उनका अहम रोल रहा। अजित पवार को मनाया और एनसीपी को टूटने से बचाया।
बाला साहेब थोराट: महाराष्ट्र कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेता थोराट संगमनेर से 8वीं बार विधायक चुने गए। शिवसेना-एनसीपी गठबंधन बनाने के लिए केंद्रीय नेताओं को मनाने में थोरट की सबसे अहम भूमिका रही है। थोराट ने केंद्रीय नेताओं को सरकार गठन के लिए मनाया।
नितिन राउत: नागपुर नॉर्थ से कांग्रेस विधायक नितिन राउत ने उद्धव सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है। नितिन राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं और इनकी विदर्भ क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। प्रदेश में कांग्रेस को मिली कुल 44 सीटों में से केवल विदर्भ क्षेत्र से 15 सीटें हासिल हुई है।