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मद्रास हाई कोर्ट का आदेश, CAA के विरोध में DMK की रैली का वीडियो बनाए पुलिस

मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि DMK यदि अनुमति नहीं मिलने के बावजूद संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ सोमवार को प्रस्तावित रैली करता है तो उसका वीडियो बनाया जाए।

Reported by: Bhasha
Published on: December 23, 2019 10:53 IST
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Madras HC does not stay DMK's anti-CAA rally, allows cops to use drones to monitor | Facebook

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि DMK यदि अनुमति नहीं मिलने के बावजूद संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ सोमवार को प्रस्तावित रैली करता है तो उसका वीडियो बनाया जाए। अदालत ने रैली के खिलाफ जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान रविवार देर रात यह अंतरिम आदेश दिया। इससे पहले, तमिलनाडु सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि पुलिस ने रैली की अनुमति नहीं दी है क्योंकि आयोजकों ने संपत्ति को कोई नुकसान होने या किसी प्रकार की हिंसा होने की स्थिति में जिम्मेदारी लेने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।

जस्टिस एस. वैद्यनाथन और जस्टिस पी. टी. आशा की पीठ ने रैली रोकने से इनकार कर दिया और कहा कि लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह लोकतांत्रिक ताने-बाने का आधार है। याचिकाकर्ताओं आर. वराकी और आर. कृष्णमूर्ति ने रैली आयोजित करने से DMK को रोकने का अनुरोध करते हुए दावा किया था कि इस प्रकार के ‘अवैध’ प्रदर्शनों से लोगों का जीवन प्रभावित होगा और इस रैली के हिंसक होने एवं अशांति पैदा होने की आशंका है जैसा कि दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न इलाकों में इसी प्रकार की रैलियों में हुआ है।

मामले को तत्काल सुनवाई के लिए लाए जाने पर सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि DMK ने रैली में हिस्सा लेने वाले लोगों की संख्या के संबंध में प्रश्न का उत्तर नहीं दिया और उसने उस व्यक्ति का नाम भी नहीं दिया जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने एवं कोई अप्रिय घटना होने की स्थिति में जिम्मेदारी लेगा। अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादी के उत्तर से यह पता चलता है कि रैली/प्रदर्शन करने वाला राजनीतिक दल जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता और हमें लगता है कि पुलिस द्वारा पूछे गए सवाल प्रासंगिक हैं।’ DMK और उसके गठबंधन सहयोगियों ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि वे सीएए के विरोध में 23 दिसंबर को चेन्नई में एक महारैली निकालेंगे।

अदालत ने कहा कि जिम्मेदार राजनीतिक दल ने जिस तरीके से प्रश्नों का उत्तर दिया है, उससे अदालत के दिमाग में यह आशंका पैदा होती है कि प्रदर्शन कर रहे नेता सम्पत्ति को किसी प्रकार का नुकसान होने या कोई अप्रिय घटना होने की जिम्मेदारी लेने से बच रहे है। इसके बाद अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि वह प्रदर्शन का वीडियो बनाए और आवश्यकता पड़ने पर ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल करे ताकि कोई गैरकानूनी घटना होने पर रैली का आयोजन कर रहे राजनीतिक दलों के नेताओं की जिम्मेदारी तय की जा सके। उसने मामले की सुनवाई 30 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

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