भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही इस्तीफे का ऐलान कर दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक तरफ तो उन्होंने बीते 15 महीनों में अपनी सरकार द्वारा किए गए काम गिनाए, तो दूसरी तरफ बीजेपी को जमकर कोसा। उन्होंने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फोरख्त का इल्जाम भी लगाया। अंत में कमलाथ ने कहा, 'मैंने तय किया है कि मैं राज्यपाल को इस्तीफा दूंगा।' कमलनाथ की इस घोषणा के साथ ही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की जरूरत नहीं रह गई।
क्या है मध्य प्रदेश विधानसभा का नंबर गेम?
2 विधायकों की मौत और 22 बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद 230 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या घटकर 206 रह गई है। विधायकों क इस्तीफे के बाद कांग्रेस का संख्या बल घटकर 91 (स्पीकर को मिलाकर 92) रह गया है। ऐसे में यदि निर्दलीय (4) और बीएसपी (2) और एसपी (1) का समर्थन रहता है तो कमलनाथ सरकार के पास 99 (स्पीकर को मिलाकर) विधायकों का समर्थन तक ही पहुंचता है। वहीं, बीजेपी विधायक शरद कौल के इस्तीफे की बात भी सामने आ रही है, लेकिन इससे भी कमलनाथ का काम नहीं बन पाता, लिहाजा उन्होंने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा।
नंबर गेम में बाजी बीजेपी के हाथ
वहीं, भारतीय जनता पार्टी सिर्फ 15 महीने बाद सत्ता में वापसी करने के लिए तैयार है। कागज पर उसके 107 विधायक हैं, लेकिन यदि 2 विधायकों को बागी भी मान लिया जाए, तो भी बीजेपी बहुमत के आंकड़े तक आसानी से पहुंच जाएगी। ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि बीजेपी के विधायक शरद कौल ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन उनके इस्तीफे से बीजेपी की सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। बीजेपी के पास सूबे में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त विधायक हैं।
सिंधिया के बीजेपी में जाते ही टूट गई कांग्रेस
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन करने से कमलनाथ सरकार के सामने दिक्कत पैदा हुई। सिंधिया के जाने के साथ ही 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने विरोध का बिगुल बजा दिया और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।