भोपाल: मध्य प्रदेश के विधानसभा में मंदसौर के किसान गोलीकांड और नर्मदा नदी के तट पर हुए पौधरोपण में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मंत्रियों द्वारा दिए गए जवाब और उस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बयान व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ट्वीट की गूंज सुनाई दी। दोनों ही मामलों को लेकर दिग्विजय सिंह नाराज हो गए हैं। उन्होंने अपनी ही सरकार पर सवाल उठा दिए।
बुधवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति खड़ी हो गई है। मंत्रियों के जवाब पर सदन के बाहर सवाल उठे हैं। इस मौके पर विधायक डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के ट्वीट पर सवाल उठाए। इस पर विधानसभाध्यक्ष एन.पी. प्रजापति ने साफ किया कि अखबारों में छपी खबर पर चर्चा नहीं हो सकती। वहीं कमलनाथ ने कहा कि उन्हें संविधान का ज्ञान है और कोई उन्हें इसका पाठ न पढ़ाए, अखबारों में छपी किसी बात पर सदन में कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।
ज्ञात हो कि, विधायक हर्ष विजय गहलोत के सवाल का लिखित में गृहमंत्री बाला बच्चन ने जवाब देते हुए कहा था, "मंदसौर के पिपलिया मंडी में अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने और सरकार व निजी संपत्ति की रक्षा के लिए पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी। इसके आदेश मल्हारगढ़ के तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) श्रवण भंडारी ने दिया था।"
वहीं, नर्मदा नदी के तट पर हुए पौधा रोपण के मामले में सरकार के वन मंत्री उमंग सिंघार ने पूर्ववर्ती सरकार को क्लीन चिट दे दी। साथ ही परोक्ष रुप से घोटाले की बात को नकार दिया था।
राज्य सरकार के दो मंत्रियों के जवाब पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ऐतराज जताया था। उन्होंने कहा था, "मंदसौर के किसानों पर जो गोली चलाई गई थी, उसे गृहमंत्री ने सही ठहरा दिया, यह तो हम स्वीकार नहीं कर सकते। वहीं वन मंत्री ने बयान दे दिया कि 'नर्मदा किनारे जो पेड़ लगाए गए वह सही लगाए गए, भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, मैं 3100 किलोमीटर की पैदल चला हूं', यह भी पता लगाएं कि वे (वनमंत्री) कितना पैदल चले हैं। यह तो भाजपा को एक तरह से क्लीनचिट ही दे दी, सवाल उठता है कि, क्या जरुरत है मंत्री को यह तय करने की।"
वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार रात को ट्वीट कर कहा था, "ना हम मंदसौर में किसान भाइयों पर हुए गोलीकांड के दोषियों को बख्शेंगे, ना हम पौधरोपण घोटाले के दोषियों को छोड़ेंगे और ना सिंहस्थ में हुई आर्थिक अनियमितताओं के दोषियों को। चाहे पीड़ित किसान भाइयों को न्याय दिलवाना हो या घोटाला करने वालों को सजा दिलवाना, यह हमारा संकल्प है।"