भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 15 साल से जमे भारतीय जनता पार्टी के 'अंगद के पांव' को उखाड़कर सत्ता तो हासिल कर ली, अब उसके सामने अगला लोकसभा चुनाव बड़ी चुनौती बना हुआ है। यहां कांग्रेस के पास 29 में से सिर्फ 3 सीटें ही हैं, लिहाजा कांग्रेस ने जीत के लिए अनुभव का लाभ लेने की रणनीति बनाई है। राज्य में कांग्रेस अकेले अपने बल पर सरकार नहीं बना सकी है, उसे बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायकों का सहयोग लेना पड़ा है। इन दलों के सहयोग के चलते कांग्रेस बहुमत के आंकड़े 116 से आगे निकल गई है और उसके पास अब 121 विधायकों का समर्थन हासिल है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज हार गए हैं। इनमें अजय सिंह, रामनिवास रावत, राजेंद्र सिंह, सुभाष सोजतिया, अरुण यादव, सुरेश पचौरी, सरताज सिंह, मुकेश नायक ऐसे नेता थे, जिनका कमलनाथ की सरकार में मंत्री बनना तय था। अब पार्टी ने इन अनुभवी नेताओं का लोकसभा चुनाव में बेहतर उपयोग की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने गुरुवार की रात चुनाव हारे उम्मीदवारों के साथ बैठक की। इस बैठक में कमलनाथ ने साफ कहा कि वे चुनाव भले हार गए हों, मगर पार्टी के लिए उनकी हैसियत विधायक से कम नहीं है। अब लोकसभा चुनाव में उन्हें अपनी पूरा ताकत लगानी है।
कांग्रेस की नई रणनीति के तहत अजय सिंह, अरुण यादव व सुरेश पचौरी को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। वहीं पार्टी मुकेश नायक, सुभाष सोजतिया, रामनिवास रावत जैसे अनुभवी नेताओं व पूर्व मंत्रियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने को लेकर मंथन कर रही है। अजय सिंह व अरुण यादव सीधे तौर पर दिग्विजय सिंह के समर्थकों में गिने जाते हैं। सोजतिया के दिग्विजय सिंह व कमलनाथ से करीबी रिश्ते हैं, वहीं पचौरी की भी कमलनाथ से नजदीकियां हैं। मुकेश नायक व रामनिवास रावत को ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे में गिना जाता है।
पार्टी की बैठक में पहुंचे हारे उम्मीदवारों ने प्रदेश अध्यक्ष को अपनी हार की वजह बताई। कमलनाथ ने सभी को लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने को कहा। इंदौर के अश्विन जोशी ने कहा कि कमलनाथ ने उनकी बात सुनी और गंभीरता से लिया है। इसे सभी विधायक औपचारिक बैठक मान रहे थे, मगर इस बैठक में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि इस बैठक के जरिए कमलनाथ ने अपनी भावी रणनीति का संदेश दे दिया है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है, इसके लिए पुराने अनुभवी नेताओं पर कमलनाथ बड़ा दांव खेल सकते हैं, ताकि सरकार की छवि तो बने ही, साथ ही प्रदेशवासियों के बीच यह संदेश जाए कि कांग्रेस जनहित को अहमियत देती है और कार्यकर्ताओं को भी लगे कि नेता चुनाव भले हार गए, मगर उनका कद कम नहीं हुआ है, क्योंकि कार्यकर्ता के उत्साह के आधार पर ही जीत संभव है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ का सबसे ज्यादा जोर विंध्य और निमाड़ अंचल पर रहने वाला है। इसके चलते अजय सिंह, अरुण यादव व सोजतिया के कद में इजाफा होना तय है। अजय सिंह को सतना और यादव को खंडवा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ाया जा सकता है तो सोजतिया के राजनीतिक अनुभव का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। ग्वालियर-चंबल सिंधिया और मध्य क्षेत्र दिग्विजय सिंह व महाकौशल क्षेत्र कमलनाथ के प्रभाव के क्षेत्र हैं। लिहाजा, यहां की रणनीति संबंधित नेताओं के आपसी समन्वय से बनाई जाएगी।