Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राजनीति
  4. ज्योतिरादित्य सिंधिया कब महसूस करने लगे खुद को अपमानित? जानें पूरी कहानी

ज्योतिरादित्य सिंधिया कब महसूस करने लगे खुद को अपमानित? जानें पूरी कहानी

ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बेरुखी की दास्तां काफी लंबी है। 18 महीने पहले मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के समय कमलनाथ जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए, सिंधिया तभी नाराज हो गए थे।

Reported by: IANS
Published : March 12, 2020 20:53 IST
Jyotiraditya Scindia, Rahul Gandhi and Kamal Nath
Jyotiraditya Scindia, Rahul Gandhi and Kamal Nath

नई दिल्ली: ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बेरुखी की दास्तां काफी लंबी है। 18 महीने पहले मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के समय कमलनाथ जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए, सिंधिया तभी नाराज हो गए थे। उस समय पार्टी हाईकमान ने सिंधिया को चुनाव प्रचार समिति की कमान दे दी थी। लेकिन पर्याप्त चुनाव प्रचार संसाधन मुहैया न कराए जाने को लेकर कमलनाथ और सिंधिया के बीच खूब तनातनी हुई थी। चुनाव के बाद कमलनाथ ने सावर्जनिक रूप से कहा था, "सिंधिया ने चुनाव में कोई मदद नहीं की। सारा मामला खुद मुझे देखना पड़ा।"

Related Stories

दूसरी ओर सिंधिया समर्थकों का कहना है कि सिंधिया ने चुनाव में खूब मेहनत की और ग्वालियर संभाग में पार्टी को अच्छी सफलता मिली। लेकिन मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस आलाकमान, खासकर राहुल और सोनिया गांधी से कहा कि "ज्योतिरादित्य अभी युवा हैं, उनके पास कई मौके होंगे। लेकिन कमलनाथ के लिए आखिरी मौका है।"

लोकसभा चुनाव के समय सिंधिया से यह वादा किया गया था कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई तो सिंधिया नंबर टू होंगे। लेकिन सरकार आई नहीं, सिंधिया भी चुनाव हार गए। लेकिन सिंधिया का मानना था कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने उनके चुनाव पर नकारात्मक असर डाला। पश्चिमी यूपी प्रभारी के तौर पर सिंधिया फिसड्डी साबित हुए। उनका खराब प्रदर्शन कांग्रेस नेताओं में उपहास का विषय बना। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ कांग्रेस नेताओं के साथ बातचीत में सिंधिया का मखौल उड़ाते थे। यह बात सिंधिया तक पहुंचती रहती थी।

ज्योतिरादित्य का कमलनाथ और दिग्विजय से संबंध खराब होने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि सिंधिया कैंप के लोगों को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण महकमा नहीं दिया गया। इन मंत्रियों के फाइलों पर भी सीधे सीएम का दखल होता था। सिंधिया समर्थक विधायक अगर क्षेत्र के काम अपनी पसंद से कराना चाहते तो न सीएम सुनते थे और न वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी। वो विधायक सिंधिया के पास आकर रोना रोते थे।

कमलनाथ सरकार के कामकाज में सिंधिया का दखल नहीं था। सिंधिया मुख्यमंत्री तक संदेश भिजवाते, लेकिन मुख्यमंत्री अनसुना कर देते थे। अधिकारी सिंधिया की बात पर ध्यान नहीं देते थे और न उनके क्षेत्र पर। जब सिंधिया ने काम न होने पर सड़क पर उतरने की बात कहकर दबाव बनाने की कोशिश की तो कमलनाथ ने दो टूक जवाब दिया कि "जिनको सड़क पर उतरना है उतरें, हम देख लेंगे।" सिंधिया ने सोचा कि प्रदेश अध्यक्ष की कमान लेकर कमलनाथ सरकार पर दबाव बनाया जाए और अपने कार्यकर्ताओं के बीच सकारात्मक असर डाला जाए। लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय की जोड़ी ने आलाकमान को अपने हिसाब से समझाया। यही वजह है कि सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष की कमान भी नहीं मिल पाई।

कमलनाथ दिल्ली को यह समझाने में सफल रहे कि या तो उनकी पसंद का अध्यक्ष बनाया जाए या फिर किसी आदिवासी चेहरे को आगे किया जाए। इस पर सिंधिया आग बबूला हो उठे। सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफा देकर संगठन पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। कमलनाथ पर दिग्विजय दबाव बनाकर अपना काम करा लेते थे। लेकिन मामला सिंधिया का होने पर दोनों एकजुट होकर सिंधिया को दरकिनार कर देते थे। सिंधिया इस बात से परेशान होते कि "आम चर्चा है कि सरकार कमलनाथ की है और चलती सिर्फ दिग्विजय की है।"

किसान कर्ज माफी, अतिथि शिक्षक जैसे मुद्दों को उठाकर सिंधिया ने सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन कमलनाथ और आलाकमान बेपरवाह रहे। कमलनाथ आलाकमान को यह समझाने में सफल रहे कि राज्य में दो पावर सेंटर बनाना ठीक नहीं होगा।

आखिरकार राज्यसभा सीट को लेकर भी सिंधिया की मांग पूरी नहीं हुई। आलाकमान से शिकायत करने पर मध्यप्रदेश की दूसरी सीट या किसी और राज्य से सीट देने की पेशकश की गई। सिंधिया को पता था कि दूसरी सीट पर कमलनाथ और दिग्विजय कोई गेम कर सकते हैं और दूसरे राज्य से राज्यसभा भेजे जाने का मतलब था कि मध्यप्रदेश की राजनीति से बाहर हो जाना।

एक बार तो सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल के लिए बनी समन्वय समिति की बैठक में सिंधिया की कमलनाथ से इतनी तनातनी हुई कि वह बैठक छोड़कर चले गए। इन्हीं वजहों से सिंधिया के मन में गुस्सा भरता रहा और उन्होंने कांग्रेस से अलग होने की राह चुन ली।

Latest India News

Related Video

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement