भोपाल। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ और गवर्नर लालजी टंडन के बीच मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर खूब पत्राचार हो रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गवर्नर को एक नया पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने गवर्नर की तरफ से आए उस पत्र का जिक्र किया है जिसमें गवर्नर ने संसदीय मर्यादा को लेकर सवाल उठाए थे। गवर्नर के पत्र के जवाब में मुख्यमंत्री ने जो पत्र लिखा है उसमें कहा है कि संसदीय मर्यादाओं के उलंघन की उनकी कोई मंशा नहीं थी, लेकिन फिर भी गवर्नर को अगर ऐसा लगता है तो उसके लिए वे (मुख्यमंत्री) खेद जताते हैं।
गवर्नर को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट का भी जिक्र किया है, पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा, "आपने अपने पत्र में यह खेद जताया है कि मेरे द्वारा आपने जो समयावधि दी थी उसमें विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने के बजाय मैनें आपको पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट कराने में आनाकानी की है। मैं आपके ध्यान में यह तथ्य लाना चाहूंगा कि पिछले 15 महीनों में मैंने सदन में कई बार अपना बहुमत सिद्ध किया है। अब यदि भाजपा यह आरोप लगा रही है कि मेरे पास बहुमत नहीं है तो वे अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से फलोर टेस्ट करा सकते हैं। मेरी जानकारी में यह आया है कि उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है जो विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लंबित है। विधानसभा नियमावली के अनुसार माननीय अध्यक्ष इस पर नियमानुसार कार्यवाही करेंगे तो अपने आप यह सिद्ध हो जाएगा कि हमारा विधानसभा में बहुमत है।"
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा सत्र की कार्यवाही को स्थगित करने के स्पीकर के फैसले का समर्थन करते हुए गवर्नर को लिखा, "आपने अपने पत्र में यह तो लिखा है कि, सदन की कार्यवाही दिनांक 26/03/2020 तक स्थगित हो गई परन्तु स्थगन के कारणों का संभवतः आपने उल्लेख करना उचित नहीं समझा। जैसा कि आप स्वयं जानते हैं कि, हमारा देश व पूरा विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण से पीड़ित है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक अन्तर्राष्ट्रीय महामारी घोषित किया है भारत सरकार ने इस बारे में एडवाइजरी जारी की है और समारोह अथवा सार्वजनिक स्थान, भीड से बचने के निर्देश दिए हैं इस कारण अध्यक्ष विधानसभा ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च 2020 की प्रातः 11 बजे तक स्थगित की है।"