भोपाल: मध्य प्रदेश में जारी सियासी ड्रामे के बीच सोमवार रात हुई मध्य प्रदेश सरकार बैठक में शामिल सभी मंत्रियों ने सीएम कमलनाथ को अपना इस्तीफा सौंपा दिए। सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह इस्तीफे ऐसे समय में दिए जब कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट नजर आने लगा। हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान जारी कर कहा, "माफिया के सहयोग से सरकार को अस्थिर करने वाली ताकतों को सफल नहीं होने दूंगा।" उन्होंने कहा कि "मेरे लिए सरकार होने का अभिप्राय सत्ता की भूख नहीं, जन सेवा उद्देश्य है।"
राज्य सरकार के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सोमवार की रात मुख्यमंत्री आवास से निकलने के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री कमल नाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में मौजूद 20 मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं। हम भाजपा की घृणित चाल को पूरा नहीं होने देंगे।"
राज्य के इन हालातों को लेकर दिल्ली में भाजपा के खेमे में भी बैठके हुईं। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इन बैठकों में मध्य प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर आगे की रणनीति तैयार की गई। वहीं, भाजपा ने मंगलवार की शाम को भोपाल में विधायक दल की बैठक भी बुलाई है। शिवराज सिंह चौहान मंगलवार की सुबह भोपाल के लिए रवाना होंगे।
मध्य प्रदेश की सियासत में हलचल क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के करीब 17 विधायक भाजपा शासित राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हैं। ये सभी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इन 17 विधायकों में से 6 के पास मंत्री पद भी है। माना जा रहा है कि यह सभी चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जाए और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान भी उनके हाथों में दी जाए। इसी के मद्देनजर दबाव बनाने के लिए ऐसा किया गया है।
बेंगलुरु में कौन-कौन है?
सूत्रों के मुताबिक, तुलसी सिलावट (मंत्री), गोविन्द सिंह राजपूत (मंत्री), प्रधुम्न सिंह तोमर (मंत्री), इमरती देवी (मंत्री), प्रभुराम चोधरी (मंत्री) और महेन्द्र सिसोदिया (मंत्री) बेंगलुरु में हैं। इनके अलावा मुन्ना लाल गोयल (विधायक), गिरिराज दंडोतिया (विधायक), ओपी भदोरिया (विधायक), विरजेंद्र यादव (विधायक), जसपाल जजजी (विधायक), कमलेश जाटव (विधायक), राजवर्धन सिंह (विधायक), रघुराज कंसना (विधायक), सुरेश धाकड़ (विधायक), हरदीप डंग (विधायक) और रक्षा सिरोनिया जसवंत (विधायक) भी बेंगलुरु में ही हैं।
BJP के संपर्क में हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया!
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया कल से किसी भी वरिष्ठ कांग्रेस नेता का फोन नहीं उठा रहे हैं और वो भाजपा के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। सूत्रों ने ये भी जानकारी दी कि 16 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में भाजपा कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। सूत्रों से तो यह भी जानकारी मिल रही है कि अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया पाला बदलकर भाजपा के साथ आते हैं तो भाजपा उन्हें मंत्री पर ऑफर कर सकती है।
कांग्रेस का सरकार पर संकट से इनकार!
कांग्रेस में मचे इस घमासान को लेकर लेकर जब मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि सब अफवाह है। उन्होंने कहा कि "होली का त्योहार है, हो सकता है विधायक फ्री होकर इंजॉय करने के लिए गए हों। जितनी भी बातें हैं, सब अफवाह हैं। सोनिया जी और सीएम कमलनाथ जी के और हाईकमान के हाथों में सब चीज है और यह केवल अफवाह के अलावा कुछ नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार गिरने का सवाल ही नहीं है। सरकार पूरे 5 साल चलेगी सरकार और उसके बाद भी हम जीत के आएंगे।"
मध्य प्रदेश की मौजूदा सियासी स्थिति
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की वर्तमान विधानसभा की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है, राज्य में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं है। राज्य की 230 सीटों में से 228 विधायक हैं, दो सीटें खाली हैं। कांग्रेस के 114 और भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार निर्दलीय चार, बसपा के दो और सपा के एक विधायकों के समर्थन से चल रही है। ऐसे में अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ पाला बदल लेते हैं तो राज्य की यह सियासी तस्वीर पूरी तरह से बदल सकती है।