नई दिल्ली: कांग्रेस का कहना है कि सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी. एच. लोया की कथित रूप से रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मृत्यु की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले से और सवाल उठेंगे। पार्टी का कहना है कि जब तक यह तर्कपूर्ण निष्कर्ष तक नहीं पहुंचता उनमें से कई प्रश्न अनुत्तरित रहेंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया है, ‘‘लोया मामले के फैसले का निष्पक्ष विश्लेषण पूर्ण तार्किक आधार पर पहुंचना चाहिए। लेकिन, जब तक इसका तर्कपूर्ण निष्कर्ष नहीं निकलता, यह और सवाल खड़े करेगा और कई अनुत्तरित रहेंगे।’’ फैसले पर पहली प्रतिक्रिया में सिंघवी ने कहा कि शीर्ष अदालत उनका प्रत्यक्ष रूप से निराकरण करके ही संदेह समाप्त कर सकती है।
न्यायाधीश लोया का नागपुर में एक दिसंबर, 2014 को कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी थी। वह अपने सहकर्मी की बेटी के विवाह में गए थे। हालांकि लोया के बेटे ने 14 जनवरी को कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई थी। उच्चतम न्यायालय ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की जांच कर रहे सीबीआई के विशेष जज बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु की स्वतंत्र जांच कराने के लिए दायर याचिकाएं आज खारिज कर दीं।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों और बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर न्यायपालिका को विवादित बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
पीठ ने कहा, ‘‘लोया की मृत्यु की परिस्थितियों के संबंध में चार जजों के बयान पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। साथ ही रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों और उनकी जांच यह साबित करती है कि लोया की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है।’’