लखनऊ: राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय चौधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि पटेल, पाटीदार आरक्षण के बहाने OBC के आरक्षण को खत्म करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि पटेल पाटीदार समाज द्वारा अन्य पिछड़े वर्ग में शामिल करने मांग नाजायज व संविधान की मूल भावनाओं के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि जो वर्ग, समुदाय सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, उन्हें शिक्षा व सेवा में प्रतिनिधित्व देने के लिए अनुच्छेद 340 में व्यवस्था की गयी तथा जो समुदाय सेवाओं में काफी पिछड़े व वंचित उपेक्षित है उनके लिए संविधान के अनुच्छेद 15(4), 16(4) व 16(4-ए) के अंतर्गत विशेष आरक्षण की व्यवस्था कर अवसर उपलब्ध कराने का प्राविधान किया गया।
निषाद ने कहा कि हार्दिक पटेल को पाटीदार जाति को ओबीसी में शामिल करने की मांग के लिए उकसाने व पीछे से हवा देने का काम विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया कर रहे हैं। जब मंडल कमीशन की रिपेार्ट लागू हुई तो उस समय तोगड़िया ने गुजरात में सबसे बड़ा विरोध किया कराया, जिसमें सैकड़ों लोग मौत के घाट उतार दिए गए थे।
निषाद ने कहा कि गुजरात की कुल आबादी 6 करोड़ 27 लाख में 12.50 प्रतिशत पटेल पाटीदार समुदाय की आबादी है, जिनका सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व 45 प्रतिशत से अधिक तथा हीरा व्यापार, कृषि संसाधनों पर 80 प्रतिशत इन्हीं का कब्जा है। फिर भी पाटीदार समाज द्वारा अपने को पिछड़े वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर गुजरात में आंदोलन करने को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
उन्होंने कहा कि गुजरात के लगभग 60 प्रतिशत पिछड़े वर्ग का सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व मात्र 13 प्रतिशत ही है, तथा गुजरात की जनसंख्या में लगभग 32 प्रतिशत जनसंख्या वाला कोली निषाद मछुआरा धीवर, मांछी, भोई समाज का प्रतिनिधित्व मात्र 3 प्रतिशत से भी कम है।
निषाद ने कहा कि गुजरात के 120 भाजपा विधायकों में 40 विधायक पटेल समाज के ही हंै, लगभग डेढ़ दर्जन विधायक कांग्रेस से भी हैं, तथा पांच सांसद व गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल सहित पांच कैबिनेट व दो राज्यमंत्री पटेल समाज के हैं तथा अन्य पिछड़े वर्ग का कोई कैबिनेट मंत्री न तो मोदी के कार्यकाल में था और न ही वर्तमान में।
उन्होंने सामान्य वर्ग को जनसंख्यानुपात में 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा के बाहर आरक्षण दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि एससी, एसटी की ही भांति अन्य पिछड़े वर्ग को भी जनसंख्या के बराबर आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय सेवाओं सहित उन राज्यों में जहां पिछड़े वर्ग का उपवर्ग नहीं बनाया गया है, उन राज्यों में पिछड़ों का वर्गीय विभाजन कर सामाजिक न्याय दिया जाना चाहिए।