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राजस्थान में जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी, वंशवाद ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल

राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर दोबारा हार का स्वाद चखने के एक हफ्ते बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने और वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया।

Reported by: IANS
Published on: June 01, 2019 16:52 IST
राजस्थान में जमीनी...- India TV Hindi
राजस्थान में जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी, वंशवाद ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल

जोधपुर: राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर दोबारा हार का स्वाद चखने के एक हफ्ते बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने और वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया। कई पार्टी नेताओं ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की बात कही है।

कांग्रेस के लीगल सेल के उपाध्यक्ष और जोधपुर से युवा कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष आनंद पुरोहित ने कहा, "कई समुदायों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। इनमें ब्राह्मण, राजपूत और जाट शामिल हैं।" उन्होंने कहा, "यहां तक कि जयपुर से मुख्यमंत्री की टीम को भी स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं था। जयपुर टीम के द्वारा जिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है। उन्हें पार्टी के कैंपेन कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के लिए कहा गया।"

उन्होंने आरोप लगाया कि जयपुर की टीम ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को धोखा दिया। पुरोहित ने कहा, "हम कांग्रेस योद्धा के रूप में जन्मे हैं और मरेंगे भी कांग्रेस योद्धा के रूप में। लेकिन जब पार्टी को इस तरह मरते देखते हैं, तब हम खराब महसूस करते हैं।" इसी तरह के विचार रखते हुए कांग्रेस सेवा दल के महासचिव राजेश सारस्वत ने कहा कि राज्य में पार्टी की समस्याओं की जड़ें मुख्यमंत्री से जुड़ी हैं। सारस्वत ने कहा, "2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी ने सचिन पायलट के नेतृत्व में स्थानीय निकाय चुनावों और पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में वापसी की थी और सरकार गठन किया था।"

उन्होंने कहा कि ज्यादातर जातियां मुख्यमंत्री से खफा हैं। यही वजह है कि उन्होंने चुनाव में भाजपा को वोट दिया। सारस्वत ने कहा, "पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था और गहलोत को दिल्ली में पार्टी की बड़ी भूमिका दी जानी चाहिए थी।" उन्होंने कहा कि अगर पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाता तो पार्टी राज्य में कम से कम चार सीटें जीतने में सफल होती। अन्य पार्टी नेता और कृषि मंडी के पूर्व अध्यक्ष कालू सिंह ने कहा कि गहलोत की वंशवाद की राजनीति ने चुनाव में पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया।

उन्होंने कहा कि पार्टी में प्रत्येक स्तर पर ज्यादातर पार्टी नेताओं के बेटों, बेटियों व संबंधियों ने महत्वपूर्ण पद हथिया रखे हैं। सिंह ने कहा, "यह लोगों को नागवार गुजरा। इसलिए अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत भी चुनाव हार गए।"

लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक में इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया।

पार्टी की शीर्ष इकाई की बैठक में राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेताओं पर उनके बेटों को तरजीह देने के लिए निशाना साधा। पार्टी सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व वित्तमंत्री व पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम पर पुत्रमोह को लेकर नाराजगी जताई है। पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व पर निशाना साधते हुए सिंह ने कहा, "राज्य सरकार केवल दिखावे में विश्वास करती है, जबकि जमीन पर कुछ नहीं दिख रहा है। अगर ऐसा नहीं है तो कैसे लोग पांच महीनों में ही राज्य सरकार से इतने नाराज हो गए।"

सिंह ने गहलोत और पायलट के बीच मतभेद के बारे में इशारा किया। उन्होंने कहा, "दोनों सार्वजनिक मंच पर एकसाथ आते हैं, लेकिन दोनों में मतभेद हैं।" सिंह ने कहा कि जो पार्टी कार्यकर्ता कठिन परिश्रम करते हैं उन्हें निश्चित ही इनाम दिया जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य पार्टी नेतृत्व में बदलाव की जरूरत है, पर उन्होंने कहा, "हां, यह होना चाहिए अगर पार्टी अगला विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है।"

जोधपुर के ओसियान क्षेत्र के पार्टी के ब्लॉक उपाध्यक्ष श्रवण बिश्नोई ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने पूरी तरह कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा कि 2014 में हार के बाद, पायलट के नेतृत्व में उन्होंने काफी मेहनत की थी और प्रत्येक बूथ के प्रत्येक परिवार से संपर्क किया था। बिश्नोई ने कहा, " हमने पिछले साल विधानसभा चुनाव में वापसी की। लेकिन इस चुनाव में जमीनी स्तर के नेताओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया, लिहाजा लोगों ने भाजपा को वोट दिया।" उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व को जमीनी स्तर के नेताओं के प्रति विश्वास जताने की जरूरत है।

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