नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के रिश्तों में जमीं बर्फ अब पिघल रही है। दोनों दलों में गठबंधन की गांठ भी खुल रही है। फिफ्टी-फिफ्टी के फॉर्मूले पर बीजेपी-शिवसेना के नेता बंद कमरे में आपस में बात कर रहे हैं लेकिन सरेआम जुबानी जंग अभी भी जारी है। दोनों ही सहयोगी दल खुद को एक-दूसरे से बड़ा होने का दम भर रही है लेकिन इस जोर आजमाइश के बीच खबर ये है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रकाश जावड़ेकर को शिवसेना के साथ गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर बातचीत तय करने की जिम्मेदारी दी है।
सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी और शिवसेना में सीट शेयरिंग फॉर्मूला बन गया है जिसके मुताबित दोनों दल आधी-आधी सीटों पर लड़ने का मन बना रहे हैं। लोकसभा की 48 सीटों में शिवसेना और बीजेपी के खाते में 24-24 सीटें होंगी लेकिन दोनों पार्टियां सरेआम कुछ भी कबूल करने से इनकार कर रही है। सोमवार को उद्धव ठाकरे की अगुवाई में शिवसेना की बैठक हुई। बैठक खत्म होते ही संजय राउत ने साफ कर दिया कि बीजेपी से उन्हें ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला और न ही ये प्रस्ताव शिवसेना को मंजूर होगा क्योंकि शिवसेना महाराष्ट्र में बिग ब्रदर की भूमिका में रही है और आगे भी रहेगी।
जालना में भी बीजेपी की राज्य कमेटी की बैठक हुई। मीटिंग के बाद महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष राव साहब दानवे ने दो टूक कहा आधी आधी सीटों पर लड़ने जैसा कोई फॉर्मूला नहीं लेकिन बीजेपी गठबंधन के लिए तैयार है लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना को सीधा और तीखा जवाब दिया, कहा-गठबंधन हुआ तो दोस्ती निभाएंगे और यदि अगर अलग लड़े तो जीत कर दिखाएंगे।
ये सच है कि महाराष्ट्र में सीटों के अंकगणित में बीजेपी भारी है। 2014 में 48 सीटों में 23 सीट जीतकर बीजेपी नंबर वन पार्टी बनी जबकि 18 सीटों वाली शिवसेना दूसरे नंबर पर रही, एनसीपी 4 और कांग्रेस 2 सीटों के साथ तीसरे और चौथे नंबर पर। दोनों दल साथ रहे तो 2019 में भी विपक्ष के लिए डबल डिजिट में पहुंचना मुश्किल होगा। फडणवीस सरकार का कार्यकाल भी अक्टूबर 2019 में खत्म हो रहा है, लिहाजा विधानसभा चुनाव को लेकर भी दोनों दलों में बात हो रही है।
शिवसेना 288 विधानसभा चुनाव में 144-144 यानी 50-50 फॉर्मूला के पक्ष में है जबकि बीजेपी शिवसेना के कोटे से 20 सीटें साथी दलों को देने पर अड़ी है। करीब दो दशक से भी ज्यादा समय तक साझेदार रही बीजेपी और शिवसेना 2014 लोकसभा तक साथ रही। 2014 के विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारा नहीं होने पर दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ीं। हालांकि बाद में सरकार बनाने के लिए शिवसेना फिर से बीजेपी के साथ आ गई। अब 2019 में फिर से दोनों दलों के बीच तल्खी के बीच गठबंधन की चर्चा तेज हो रही है।