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लोकसभा चुनाव 2019: यूपी के बुंदेलखंड में आसान नहीं होगी BJP की राह, जानें क्यों!

एक तरफ बुंदेली किसान 'कर्ज' और 'मर्ज' का दंश झेल रहा है तो दूसरी ओर आवारा मवेशी उनकी फसल चटकर कृत्रिम आपदा दे रहे हैं।

Reported by: IANS
Updated on: January 18, 2019 9:46 IST
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बुंदेलखंड की चारों सीटें जीती थीं | Facebook- India TV Hindi
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बुंदेलखंड की चारों सीटें जीती थीं | Facebook

बांदा: साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गढ़ उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में आने वाली सभी 4 लोकसभा सीटों पर भगवा ध्वज फहरा दिया था। लेकिन, अब उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के अस्तित्व में आने के बाद आगामी लोकसभा चुनाव इसे दोहरा पाना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर होगी। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में 19 विधानसभा और 4 लोकसभा की सीटें हैं। 

सपा और बसपा का गढ़ माने जा रहे बुंदेलखंड क्षेत्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते भाजपा ने जहां बांदा-चित्रकूट, महोबा-हमीरपुर-तिंदवारी, उरई-जालौन और झांसी-ललितपुर की सीटों में कब्जा किया, वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी सभी 19 विधानसभा सीटों पर भगवा ध्वज फहरा दिया था। लेकिन, अगले लोकसभा चुनाव की परिस्थितियां कुछ और ही होंगी। एक तरफ बुंदेली किसान 'कर्ज' और 'मर्ज' का दंश झेल रहा है तो दूसरी ओर आवारा मवेशी उनकी फसल चटकर कृत्रिम आपदा दे रहे हैं।

किसानों की मानें तो केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार से उन्हें कोई खास सकून नहीं मिला। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की मुख्य वजह बसपा और सपा का अलग-अलग चुनाव लड़ना था। अब जब बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं, ऐसे में भाजपा के लिए यह गठबंधन का भारी पड़ना लाजिमी भी है।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो बांदा-चित्रकूट सीट से भाजपा के भैरों प्रसाद मिश्रा 3,42,066 मत पाकर विजयी रहे, जबकि सपा के बाल कुमार पटेल को 1,89,730 और बसपा के आर.के. सिंह पटेल (अब भाजपा विधायक-मानिकपुर) को 2,26,278 मत मिले थे। हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी सीट में भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को 4,52,929 मत और सपा के विशंभर प्रसाद निषाद को 1,87,095 व बसपा के राकेश गोस्वामी (अब भाजपा विधायक-महोबा सदर), उरई-जालौन से भाजपा के भानुप्रताप सिंह वर्मा को 5,48,631, सपा के घनश्याम अनुरागी (अब बसपा में हैं) को 1,80,921 और बसपा के बृजलाल खाबरी को 2,61,429 मत मिले थे।

इसी तरह झांसी-ललितपुर से भाजपा की उमा भारती को (अब केंद्रीय मंत्री) को 5,75,889 और सपा के चंद्रपाल सिंह यादव को 3,85,422 और बसपा उम्मीदवार को 2,13,792 मत मिले थे। सभी चार सीटों में भाजपा को कुल 19,19,515 और बसपा व सपा को 18,21,27 मत मिले थे। इस प्रकार 'अच्छे दिन आने वाले हैं' के नारे और मोदी लहर की बदौलत भाजपा को इन दोनों दलों से महज 98 हजार 488 मत अधिक मिले थे, लेकिन अगले लोकसभा चुनाव में तस्वीर कुछ और ही होगी। पिछले चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। वामपंथी विचारक और बुजुर्ग राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चौहान एड़ कहते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में गरीब, मजदूर और किसान भाजपा के नारों 'अच्छे दिन आने वाले हैं', हर गरीब के खाते में कालाधन का 15 लाख रुपये भेजे जाने को सच मानकर गुमराह हो गया था। अबकी बार यह तबका सतर्क हो गया है और भाजपा को सिर्फ 'जुमलेबाज' पार्टी मानने लगा है।

उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में पिछड़े वर्ग में आने वाली यादव कौम सपा और अनुसूचित वर्ग का जाटव समाज ही बसपा के साथ गया था, बाकी पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित वर्ग में आने वाली कई कौमें भाजपा के जुमलों में फंस गई थीं। तब कहीं जाकर सभी चार लोकसभा सीटों में भाजपा को बसपा और सपा से महज 98 हजार मत ज्यादा मिल पाए थे, अबकी बार यह सभी कौमें बसपा-सपा में लौट सकती हैं और माया-अखिलेश की जोड़ी मोदी-शाह की जोड़ी पर भारी पड़ सकती है।

चौहान कहते हैं, ‘किसानों की आय दोगुनी करने का ढिंढोरा भी हवा-हवाई साबित हुआ है। यहां का किसान 'कर्ज' और 'मर्ज' के बोझ तले पहले से ही दबा है, रही कसर लाखों की तादाद में आवारा घूम रहे मवेशी पूरा कर कृत्रिम आपदा दे रहे हैं।’ एक सवाल के जवाब में चौहान कहते हैं कि सरकार की ऋणमाफी योजना का लाभ हर किसान को नहीं मिला है। कई ऐसे भी किसान हैं, जिनका चार रुपये से लेकर एक सौ रुपये तक ही माफ किया गया है। किसान नेता और बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा कहते हैं कि दैवीय और कृतिम आपदाओं से किसान तबाह हो चुका है, भाजपा सरकार की कृषि नीति किसानों के हित में नहीं है। केंद्र व राज्य सरकार किसानों को खाद, बीज व पानी उपलब्ध कराने में नाकाम रही है। खाद, बीज, पानी के अभाव में हजारों बीघा उपजाऊ कृषि भूमि पड़ती पड़ी है।

उन्होंने कहा कि कई कर्जदार किसानों की जमीनें फरवरी में नीलाम हो जा रही हैं। अबकी बार हिंदुत्व या मोदी लहर बिल्कुल नहीं चलेगा, किसान अपने हक-अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले दल के पक्ष में खुल कर रहेगा। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बांदा जिलाध्यक्ष लवलेश सिंह कहते हैं कि केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार ने बुंदेलखंड़ में विकास की धारा बहाई है, जनता दोनों सरकारों द्वारा कराए गए विकास कार्यों की वजह से केंद्र में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनवाएगी। वह सपा-बसपा गठबंधन के बारे में कहते हैं कि यह सत्ता के लालच में किया गया बेमेल गठबंधन है, जनता बखूबी समझती है।

वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और बसपा के बुंदेलखंड समन्वयक गयाचरण दिनकर कहते हैं कि भाजपा झूठ बोलकर सत्ता में आई है, एक भी चुनावी वादे पूरे नहीं किए हैं। आगामी लोकसभा चुनाव उसे अपनी करनी का फल मिलेगा। कुल मिलाकर बुंदेलखंड की सभी चार लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन फिलहाल भारी पड़ता दिख रहा है। अगर भाजपा की कोई अप्रत्याशित राजनीतिक बयार नहीं चली तो सपा-बसपा अपने पुराने गढ़ में एक बार फिर काबिज हो सकते हैं।

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