नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (JNUSU) के चुनाव में वाम गठबंधन ने भले ही सूपड़ा साफ कर दिया हो, लेकिन प्रतिद्वंद्वी संगठनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (BAPSA) का कहना है कि इस चुनाव में उनका मत प्रतिशत बढ़ा है और वे इसे अपने लिए कामयाबी मानते हैं। सेंट्रल पैनल के सभी 4 पदों- अध्यक्ष,उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव के चुनाव में ABVP दूसरे स्थान पर रही। पिछले साल वह 2 पदों पर दूसरे स्थान पर रही थी।
ABVP के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक साकेत बहुगुणा ने कहा कि सभी 4 सीटों वाम गठबंधन (AISA, SFI और DSF) के होने के बावजूद ABVP अब JNU में सबसे बड़ा एकल छात्र संगठन बन गया है। उन्होंने कहा, ‘सेंट्रल पैनल के सभी 4 पदों के लिए हमें कुल 4,000 से अधिक वोट मिले। ABVP JNU में सबसे बड़ा एकल छात्र संगठन है। हम काउंसिलर की 10 सीटों के लिए भी चुनाव जीते जो किसी एक संगठन के लिए सर्वाधिक है। ABVP विज्ञान संकाय के स्कूलों में तकरीबन सभी सीटों को जीत गई।’ अध्यक्ष पद की ABVP उम्मीदवार निधि त्रिपाठी का कहना है कि इस चुनाव में RSS की छात्र इकाई की बड़ी जीत हुई है।
इस चुनाव में BAPSA तीसरे स्थान पर रही और वह इसे अपने जीत के तौर पर देख रही है क्योंकि किसी संगठन के तौर पर उसके मतों में इजाफा हुआ है। BAPSA के अध्यक्ष पद की उम्मीदवार शबाना अली ने कहा कि उन्हें और वोटों की उम्मीद थी, लेकिन इससे संतुष्ट हैं कि संगठन को मिले मतों में इजाफा हुआ है। अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार फारूक आलम को AISF की उम्मीदवार अपराजिता राजा से ज्यादा वोट मिले।