Saturday, November 16, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राजनीति
  4. 'सांसदों की कम से कम 100 दिन की उपस्थिति अनिवार्य बनाने के लिए बने कानून'

'सांसदों की कम से कम 100 दिन की उपस्थिति अनिवार्य बनाने के लिए बने कानून'

उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में देश में 6070 दिन प्रति वर्ष से अधिक संसद नहीं बैठी। ऐसे में सरकार की जवाबदेही कैसे होगी उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में संसद एक साल में लगभग 200 दिन बैठती है। कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि असमानता को फैलाने वाली आर्थकि नीत

Reported by: Bhasha
Published on: July 22, 2017 15:03 IST
Sitaram-Yechury- India TV Hindi
Sitaram-Yechury

भोपाल: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी माकपा के महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने संसदीय सत्रों में कामकाज के दिनों की संख्या कम होते जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जो सांसदों के लिए कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को अनिवार्य बनाए। येचुरी ने कहा कि ऐसा करने पर ही सरकार की जवाबदेही तय होगी। कम्युनिस्ट नेता शैलेन्द्र शैली की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला के अंतर्गत संवैधानिक मूल्यों पर खतरे और सिकुड़ता जनतंत्र विषय पर येचुरी ने कल शाम यहां कहा, एक ऐसा कानून बनाने की ज़रूरत है जो कम से कम 100 दिन की सक्रिय उपस्थिति को सांसदों के लिए अनिवार्य करे। संसदीय कार्यवाहियां सुचारु रूप से चलाने के लिए आज बहुत जरूरी हो गया है कि संसदीय कार्यों के प्रति अरुचि व लापरवाही खत्म हो। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस

उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में देश में 6070 दिन प्रति वर्ष से अधिक संसद नहीं बैठी। ऐसे में सरकार की जवाबदेही कैसे होगी उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में संसद एक साल में लगभग 200 दिन बैठती है। कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि असमानता को फैलाने वाली आर्थकि नीतियों को मोदी सरकार पूर्ववर्ती यूपीए सरकार से भी ज्यादा तेजी से लागू कर रही है। कानून का वादा समानता लाने का है लेकिन जो सत्ता में हैं वे असमानता को पूरी शिद्दत से उभार रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी ने लोकसभा चुनाव में हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, जिसके लिहाज़ से अब तक 6 करोड़ लोगों को नौकरी मिल जानी चाहिए थी लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि नौकरियों में सतत रूप से भारी कमी आ रही है। आज किसानों का जो हाल है वह किसी से छिपा नहीं है, वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं। पूंजीपति लोग दूसरों का 11 लाख करोड़ रुपये कर्ज वापस नहीं कर रहे हैं, वह कुछ नहीं उनका तो ण र्मा2398ी किया जाता है, वहीं किसानों को छोटे-छोटे ण के लिए परेशान किया जा रहा है।

येचुरी ने कहा कि आजादी के बाद के 70 सालों से देश में बहुमत का राज नहीं बल्कि अल्पमत का राज चल रहा है। आज अल्पमत का राज ही बहुमत का राज साबित किया जा रहा है, जो सरकार केंद्र में है उसे कुल मतदान करने वालों में से 63 प्रतिशत ने नकारा था, लेकिन उन्होंने सरकार बना ली। इसे बहुमत की सरकार बताना हास्यास्पद है। ऐसे माहौल में आवश्यक है विचार और व्यक्ति दोनों स्तर पर वोटिंग करायी जाए। यह हमारे जनतंत्र की मजबूती के लिये आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज कई माध्यमों से राजनैतिक भ्रष्टाचार को न्यायसंगत बना दिया गया है जिससे जनतंत्र कमजोर हुआ है।

माकपा के नेता ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों पर खतरों का बढ़ते जाना देश के हर व्यक्ति का सवाल है और ये सवाल बड़ी प्रमुखता से उभरा है। हमारे देश के सामाजिक और राजनैतिक ढांचे के बेहतर होने के लिए सिर्फ एक ही शर्त है और वह है धर्मनिरपेक्ष और जनतांत्रिक मूल्यों का शक्तिशाली होना। आज इसको कमज़ोर करने वाली ताकतें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि बिना आर्थिक समानता के धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र का ढांचा भी टिकाऊ नहीं रहने वाला, आज यह बात साबित भी हो रही है।

येचुरी ने कहा कि यदि हर जगह आधार कार्ड अनिवार्य करना है तो इसको मतदाता पहचान पत्र से जोड़ते हुए इसका उपयोग मतदान के दौरान भी क्यों नहीं करना चाहते लेकिन यह नहीं किया जाएगा क्योंकि इनको फर्जी मतदान की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के बुनियादी स्तंभ सामाजिक न्याय, आर्थिक आत्मनिर्भरता, संघवाद और धर्मनिरपेक्ष जनतंत्र हैं और इन चारों के समक्ष गंभीर चुनौतियां उभरी हैं। हिन्दू राष्ट्र का ढांचा अगर बनाया जाता है तो हमारे संवैधानिक मूल्य कायम नहीं रह सकते । आज वैचारिक संघर्ष भी बढ़े हैं और संविधान व लोगों की संप्रभुता पर भी हमले बढे़ हैं।

उन्होंने कहा कि मुक्ति, समानता और बंधुता जैसे महत्वपूर्ण मूल्यों को बचाने की आज बहुत ज्यादा ज़रूरत है। समानता के मुद्दे की बात करें तो दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढे़ हैं। आज सड़क पर न्याय दिलाने का भ्रम पाले कई लोग पैदा हुए हैं जो बहुर्त 2394ीलत है। इनको मानने वाले लोग हमारे देश के पुलिस व न्यायतंत्र में ही भरोसा नहीं रखते। ये समानता के हत्यारे हैं जहां तक बंधुता का प्रश्न है तो इसको तोड़ने की घटनाएं बहुत बढ़ी हैं।

उन्होंने कहा जब समानता व बंधुता ही खतरे में होगी तो आजादी :मुक्ति: कैसे संभव होगी। इस बिगड़े माहौल के खिलाफ एक बेहतर माहौल देश में बने यह हम सब की ज़िम्मेदारी हैं कम्युनिस्ट नेता ने आज के माहौल में वैकल्पिक राजनीति के उभार की आवश्यकता बताई जो केवल जनसंघर्ष से ही संभव है। लोकतंत्र के पक्ष में जनांदोलन खड़ा करना और वैकल्पिक वातावरण खड़ा करना आज के सन्दर्भ में बहुत आवश्यक है क्योंकि साा पर काबिज़ पार्टी लगातार जुमले फेंक कर लोगों को इस मुकाम पर ला रही है कि वे इस बिगड़े हुए माहौल पर कुछ न सोचें बल्कि कई तरह के भ्रमों में फंसे रहें जो वर्तमान हालात की बड़ी चुनौती है।

ये भी पढ़ें: अगर सांप काटे तो क्या करें-क्या न करें, इन बातों का रखें ध्यान...

इस राजा की थी 365 रानियां, उनके खास महल में केवल निर्वस्‍त्र हीं कर सकते थे एंट्री

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement