नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) घोटाले में आरोपों का सामना कर रहे लालू प्रसाद यादव एवं उनके परिजनों को बड़ी राहत दी है। इस घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अदालत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव को नियमित जमानत दे दी है। आपको बता दें कि चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू का अभी रांची के राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) में इलाज चल रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर आरोपियों को यह जमानत दी। अदालत ने 19 जनवरी को इन तीनों को मिली अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ा दिया था जो सोमवार को समाप्त हो रही थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में अदालत में अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी। यह मामला IRCTC के 2 होटलों का संचालन अनुबंध एक निजी कंपनी को देने में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है।
अदालत ने इससे पहले CBI द्वारा दायर IRCTC घोटाला मामले में उन्हें जमानत दे दी थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा 2004 से 2014 के बीच दायर आरोप-पत्र के मुताबिक एक साजिश रची गई थी जिसके तहत पुरी एवं रांची स्थित भारतीय रेलवे के BNR होटलों को पहले IRCTC को हस्तांतरित किया गया और बाद में उनके संचालन, प्रबंधन एवं रख-रखाव के लिए उन्हें पटना के सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को लीज पर दे दिया गया। आरोप लगाए गए कि निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ियां हुईं और निजी पार्टी- सुजाता होटल्स की मदद करने के लिए शर्तों में फेरबदल किया गया।
CBI के मामले के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रसाद, देवी, यादव एवं अन्य के खिलाफ धनशोधन का एक मामला दर्ज किया। आरोप-पत्र में नामजद किए गए अन्य लोगों में IRCTC के समूह महाप्रबंधक वी के अस्थाना एवं आर के गोयल और सुजाता होटल्स के निदेशक एवं चाणक्य होटल के मालिक विजय कोचर एवं विनय कोच्रर शामिल हैं। आरोप-पत्र में डिलाइट मार्केटिंग कंपनी जिसे अब लारा प्रोजेक्ट्स के नाम से जाना जाता है और सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को आरोपी कंपनियों के तौर पर नामजद किया गया है।
2001 में यह तय किया गया कि भारतीय रेलवे के होटलों समेत केटरिंग सेवाओं का प्रबंधन IRCTC को सौंपा जाएगा। ऐसे दो होटलों, रांची एवं पुरी के BNR होटलों की भी पहचान की गई और रेलवे एवं IRCTC के बीच 19 मार्च, 2004 को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए। CBI की प्राथमिकी के मुताबिक तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद ने खुद के एवं अन्य के लिए अनुचित लाभ उठाने के मकसद से सुजाता होटल्स की मालिक एवं उनके करीबी सहयोगी एवं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद प्रेम चंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता और IRCTC के अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची।
जांच एजेंसी का यह भी आरोप था कि BNR होटलों को हेराफेरी एवं धांधली वाली निविदा प्रक्रिया के जरिए सुजाता होटल्स को हस्तांतरित किया गया। इस निविदा प्रक्रिया का संचालन IRCTC के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पी के गोयल ने किया था। एजेंसी का आरोप है कि प्रसाद इस पूरी प्रक्रिया के बारे में जानते थे और निविदा की प्रक्रिया पर नजर रखे हुए थे। जांच में सामने आया कि दोनों होटलों की बोलियों के लिए करीब 15 दस्तावेज प्राप्त हुए लेकिन IRCTC के पास सुजाता होटल्स को छोड़कर अन्य किसी भी बोली लगाने वाले का रिकॉर्ड नहीं था।