पचना: बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार का सत्ता संघर्ष सामने आने के बाद हर कोई हैरान है। लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने कल शाम पहली बार पार्टी में उनकी अनदेखी का आरोप लगाया था और आज एक बार फिर तेजप्रताप यादव सामने आए लेकिन विवाद खत्म करने के बजाए अपने प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे पर आरोप लगा दिया। वहीं तेजप्रताप के आरोपों पर तेजस्वी यादव ने सफाई दी और कहा कि भाई-भाई में कोई लड़ाई नहीं होती, परिवार में कोई झगड़ा नहीं है।
बता दें कि लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव इन दिनों पार्टी और परिवार दोनों से नाराज हैं। कुछ दिनों पहले तेजप्रताप की शादी हुई थी और शादी के बाद से ही ना वो राजनीति के मैदान में नजर आ रहे थे और ना ही मीडिया के कैमरों की नजरों में। कहा जाने लगा था कि वो परिवार में ज्यादा वक्त दे रहे हैं लेकिन अचानक उनके एक ट्वीट ने सबको चौंका दिया। तेज प्रताप ने ट्वीट कर लिखा, 'मेरा सोचना है कि मैं अर्जुन को हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊं. अब कुछ एक "चुगलों" को कष्ट है कि कहीं मैं किंग मेकर न कहलाऊं..राधे राधे'
उनके इस ट्वीट के बाद ये सवाल और बड़ा हो गया कि तेज प्रताप यादव द्वारका जाने का मन क्यों बना रहे हैं? वो किसे चुगलखोर कह रहे हैं? इन सवालों के जवाब के लिए तेज प्रताप खुद सामने आ गये और उसके बाद जो उन्होंने जो कहा वो इस बात की ओर इशारा करता है कि वो पार्टी से बहुत नाराज है। अपने बयानों के जरिए पार्टी में सत्ता के शक्तिशाली शिखरों को वो सीधा संदेश भेजना चाहते हैं कि पार्टी में उनकी इच्छाओं को दरकिनार किया जा रहा है। तेज प्रताप के बयानों ने पार्टी और परिवार दोनों की नींद उड़ा दी है। पूछा जा रहा है क्या तेज प्रताप और तेजस्वी में सत्ता के लिए संघर्ष की शुरुआत है।
इस बयान ने लालू के परिवार को एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है क्योंकि ये सब जानते हैं अगर पार्टी में तोड़ फोड़ होती है तो इसका असर 2019 में जरुर दिखेगा। इसलिए अंदरुनी झगड़ों में बुरी तरह घिरी पार्टी की ओर से राबड़ी देवी सामने आई और उन्होंने ट्वीट के जरिये बेटों के झगड़े से ध्यान हटाने की कोशिश की। राबड़ी ने ट्वीट कर कहा, 'जैसे कृष्ण भगवान जी ने पांडवों की सहायता कर उन्हें सिंहासन पर बैठा दिया था उसी कृष्ण भगवान जी की बुद्धि आज आरजेडी और समाजवादी पार्टी को लगाकर सत्ताधारी पार्टी को हराकर दिखाना होगा..किंगमेकर से ज़्यादा भूमिका उस व्यक्ति विशेष की होती है जो सभी धर्मों के हित में काम करे।'
मां को उम्मीद है कि दोनों भाइयों के बीच किसी तरह का सत्ता संघर्ष नहीं होगा लेकिन तेजप्रताप इस बात को लेकर गुस्सा हैं कि उनके कहने पर एक दलित नेता को पार्टी में छोटा पद तक नहीं दिया गया। लालू की डूबती हुई पार्टी को बिहार विधानसभा में बड़ी जीत मिली थी इसके बाद कुछ दिन तक सत्ता में रहे..तेजप्रताप और तेजस्वी दोनों ही नीतीश सरकार में मंत्री बने, लेकिन सत्ता हाथ जाते ही तेजप्रताप यादव नेपथ्य में ही रहे..तेजस्वी विपक्ष की आवाज बन गए। जोकीहाट विधानसभा में उपचुनाव ने ये बता दिया कि तेजस्वी यादव, नीतीश सरकार को चुनौती देने में कामयाब रहे हैं लेकिन अब जो चुनौती मिली है, वो पारिवारिक भी है, सियासी भी है।