नई दिल्ली: लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाला केस में सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने सजा के ऐलान के वक्त राजद प्रमुख की उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्हें ओपन जेल में भेजने की सिफारिश की थी जिसके बाद लालू को झारखंड के हजारीबाग की ओपन जेल में रखा जाएगा। लेकिन राजनीतिक कैदियों को आमतौर पर जेल में कुछ सुविधाएं दी जाती हैं जो इन्हें नहीं मिल रही। जेल में बंद लालू प्रसाद यादव को एक साधारण कैदी की तरह रहना पड़ रहा है। इसकी शिकायत खुद लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई के स्पेशल जज से की है।
ओपन जेल में कैदियों को पूरी तरह से कैद नहीं रखा जाता है। जेल के अंदर उन्हें अपने परिवार को साथ रखने और उनकी आजीविका चलाने के लिए काम करने की सुविधा मुहैया कराई जाती है। अगर परिवार साथ रहता हो तो कैदी एक निर्धारित दायरे में काम के लिए जाता है और फिर काम खत्म होने के बाद लौट आता है।
वहीं बुधवार को लालू स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दुमका खजाना मामले में सुनवाई के लिए पेश हुए। जब जज शिवपाल ने लालू से उन्हें जेल में होने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा तो लालू ने अपने अंदाज में शिकायत की कि जेल प्रशासन उन्हें पार्टी कार्यकर्ता और अन्य लोगों से मिलने की इजाजत नहीं देते। इस पर जज ने कहा कि आंगतुकों को जेल के नियमों का पालन करने पर ही आपसे मिलने दिया जाएगा, इसलिए मैंने आपके लिए खुली जेल की सिफारिश की थी।
लालू ने इस पर तुरंत जवाब दिया, 'अगर कार्यकर्ताओं को खुली जेल में रोका जाएगा तो वहां नरसंहार हो सकता है। झारखंड के सभी 20 हजार पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में तैनात होना पड़ेगा।' इस पर सिंह ने कहा कि आप चिंता न करें ऐसा कुछ नहीं होगा।