उत्तर प्रदेश को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का आज सुबह निधन हो गया। 5 दशकों तक अटल बिहारी वाजपेयी का साथ निभाने वाले टंडन ने 85 वर्ष की अवस्था में मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। लालजी टंडन काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। लालजी टंडन यूं तो भाजपा नेता थे, लेकिन उनके दोस्त और चाहने वाले दूसरी पार्टियों में भी खूब थे। इस बात की मिसाल यूपी की पूर्व सीएम मायावती स्वयं हैं, जो उन्हें रक्षाबंधन पर राखी बांधा करती थी। लालजी टंडन ने एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और राजभवन में रहते हुए भी उन्होंने राजनीति की उच्च परंपरा को बनाए रखा।
लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 में हुआ था। स्नातक तक पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका विवाह 1958 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ। उनके बेटे गोपाल जी टंडन इस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं।
अटल को मानते थे पिता
लालजी टंडन के जीवन पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का काफी असर रहा। लालजी टंडन खुद कहा करते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और पिता तीनों की भूमिका अदा की है। 60 के दशक में राजनीति में आए टंडन ने अगले 5 दशक तक अटल का साथ निभाया। यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लखनऊ में टंडन ने ही संभाला था और 2009 में अटल जी की सीट से ही सांसद चुने गए थे।
राजनीतिक सफर
लाल जी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। टंडन दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे। उन्होंने इंदिरा सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। 90 के दशक में प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है। 1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे। इस दौरान 1991-92 की उत्तर प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी रहे। इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे।
संभाला अटल जी का लखनऊ
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब 2009 में राजनीति से दूर जाने का निर्णय लिया। तब लखनऊ लोकसभा सीट लालजी टंडन को ही सौंपी गई। लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की और संसद पहुंचे। लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और फिर कुछ दिनों के बाद मध्यप्रेदश का राज्यपाल बनाया गया था।