नई दिल्ली: आय से अधिक संपत्ति मामले में तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की अपील पर कर्नाटक हाई कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगी। करीब 19 साल पुराने इस मामले के फैसले पर जयललिता का राजनितिक भविष्य टिका हुआ है।
पूरे तमिलनाडु में अम्मा के समर्थक पूजा, पाठ और हवन करवा रहे हैं ताकि उनकी नेता बरी हो जाए और फिर से सीएम बन जायें।
जानें क्या है पूरा मामला :
1996 में तमिलनाडु में सत्ता में आने के बाद DMK ने एक स्पेशल कोर्ट का गठन कर जयललिता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का ये मामला दर्ज किया था। AIDMK अध्यक्ष पर आरोप लगा कि 1991 से 1996 के दौरान मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने आय के ज्ञात स्त्रोतों से 66.65 करोड़ रुपए ज्यादा की संपत्ति अर्जित की।
तक़रीबन 19 सालों तक ये मामला अदालतों, राजनितिक और कानूनी वजहों से खींचता रहा ।
1996: तब के जनता पार्टी और अब भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने सबसे पहले जयललिता के खिलाफ ये मामला दर्ज किया।
दिसम्बर 7,1996: मामले में जयललिता की पहली बार गिरफ्तारी हुई।
1997: चेन्नई की निचली अदालत में जयललिता उनकी मित्र शशिकला उनके तिरस्कृत दत्तक पुत्र सुधाकरण और इलावरसी के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ।
जून 4, 1997: सभी आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 120-B और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(1)(e) के तहत चार्ज शीट दर्ज की गयी।
2002: जब AIADMK की सत्ता थी तब इस मामल के कई गवाह अपने बयानों से पलट गए जिसके बाद साल 2003 ने DMK नेता अंबझगन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डालकर मामले की सुनवाई तमिलनाडु से बाहर करने की अपील की।
नवंबर 18, 2003: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को बैंगलोर की अदालत में करने के निर्देश दिए।
अक्टूबर/नवंबर 2011: बैंगलोर की अदालत में हाजिर होकर जयललिता ने 1339 सवालों के जवाब दिए।
सितंबर 27, 2014: बैंगलोर की विशेष अदालत ने मामले में जयललिता सहित सभी चारों आरोपियों को दोषी ठहराया और सभी को चार साल की सजा, जयललिता को 100 करोड़ जुर्माना और बाकी तीनों को 10 करोड़ के जुर्माने की सजा सुनायी।
अक्टूबर 7, 2014: कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता की जमानत की अर्जी को ख़ारिज कर दिया।
अक्टूबर 9, 2014: बैंगलोर की जेल में 13 दिन गुजारने के बाद जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की।
अक्टूबर 18, 2014: सुप्रीम कोर्ट ने जयललिता को जमानत दी। 21 दिन जेल में।गुजारने के बाद जयललिता जेल से रिहा हुईं।
दिसम्बर 8, 2014: जयललिता ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में अपील की।
दिसम्बर 18, 2014: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से विशेष अदालत का गठन कर मामले की सुनवाई को 3 महीने के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए।
जनवरी 1, 2015: जस्टिस सी.आर. कुमारस्वामी की बेंच का गठन हुआ और जयललिता की अपील पर सुनवाई शुरू हुई।
मार्च 11: कर्नाटक हाई ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।