नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह ने केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को समर्थन दिया है। बीरेंद्र सिंह, स्वतंत्रता से पहले के दौर में किसानों के हितों के लिए लड़ने वाले सर छोटू राम के पौत्र हैं। उनके बेटे बृजेंद्र भाजपा के सांसद हैं। बीजेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों के साथ खड़े होना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि किसानों को इस बात का डर है कि नए कृषि कानूनों से उनकी आर्थिक अवस्था प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने शुक्रवार को कहा, "मैंने राजनीति में जो कुछ भी हासिल किया है वह संभव नहीं हो पाता यदि मैं सर छोटू राम का पोता नहीं होता।"
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हरियाणा के प्रभावशाली जाट नेता सिंह ने कहा, "इसलिए आज किसानों की लड़ाई में उनके साथ खड़े होना मेरी नैतिक जिम्मेदारी है। इसलिए मैंने इस लड़ाई को समर्थन देने का फैसला किया है।" उन्होंने कहा कि वह और उनके समर्थक दिल्ली से लगने वाले हरियाणा के जिलों में सांकेतिक अनशन करेंगे। शुक्रवार को सिंह ने अपने समर्थकों के साथ रोहतक में चौधरी छोटू राम विचार मंच के बैनर तले धरना दिया था।
कृषि कानून को लेकर सपा-बसपा नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा
कृषि कानूनों के विरोध में और किसानों के आंदोलन के समर्थन में उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं ने शनिवार को सरकार पर निशाना साधा।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ''भाजपा ने कृषि-क़ानून बनाने से पहले किसानों को कानोंकान ख़बर तक न होने दी, अब ‘किसान सम्मेलन’ करके इसके लाभ समझाने का ढोंग कर रहे हैं। सच तो ये है कि किसानों का सच्चा लाभ स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू होने से होगा, तभी आय दोगुनी हो सकती है। ये कृषि-क़ानून नहीं भाजपा का शिकंजा हैं।’’
बहुजन समाज पार्टी सप्रीमो मायावती ने भी शनिवार को ट्वीट किया, ''केन्द्र सरकार को, हाल ही में देश में लागू तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आन्दोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाकर उनकी माँगों को स्वीकार करके, उक्त तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए।''