नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अपना पद छोड़ सकते हैं। उनको केंद्र सरकार में मंत्री पद दिया जा सकता है। खबरों के मुताबिक इस बदलाव के पीछे दो वजह हैं। पहली उत्तर प्रदेश में सरकार में शीर्ष स्तर पर टकराव शुरू हो गया है। उन्हें केंद्र सरकार में लाने की दूसरी वजह यह है कि भाजपा नहीं चाहती कि मायावती लोकसभा के लिए चुनी जाए। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
दरअसल उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को अपने पद पर बने रहने के लिए विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी है। फिलहाल वह फूलपुर से सांसद हैं और यदि वह विधानभवन में पहुंचते हैं तो उनको अपनी संसदीय सीट छोड़नी पड़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक ऐसी स्थिति में मायावती फूलपुर उपचुनाव में उतर सकती हैं। मायावती ने हालांकि इस तरह का कोई ऐलान तो नहीं किया है लेकिन यह सीट बीएसपी के लिए मुफीद मानी जा रही है क्योंकि 1996 में यहां से पार्टी के संस्थापक कांशीराम चुनाव लड़ चुके हैं।
उस दौरान समाजवादी पार्टी के जंग बहादुर पटेल ने उनको हरा जरूर दिया था लेकिन इस सीट पर अन्य पिछड़े वर्ग, अल्सपसंख्यक और दलित तबके की बड़ी आबादी है। यह भी सुगबुगाहट है कि मायावती के चुनाव लड़ने की स्थिति में सपा और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल एकजुटता दिखाते हुए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन कर सकते हैं। इस सूरतेहाल में सपा, कांग्रेस और बसपा के गठजोड़ वाले संयुक्त वोट से भाजपा के प्रत्याशी को मुकाबला करना होगा।
बता दें कि मायावती ने राज्यसभा ये यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें संसद में दलितों का मुद्दा नहीं उठाने दिया जा रहा। मायावती के इस कदम को उनकी बड़ी रणनीती का हिस्सा माना जा रहा है जिसके तहत वह फिर से अक्रामक रुख अपना कर दलितों की सबसे बड़ी चहेते के तौर पर उभरना चाहती हैं। इससे भी ज्यादा खतरे की बात यह है कि विपक्ष की एकता की जड़े पनपने लगी है और फूलपुर उपचुनाव में मायावती को विपक्ष का सुंयक्त उम्मीदवार बनाने के लिए कोशिशें शुरू हो गई हैं।
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