श्रीनगर: उदारवादी कश्मीरी अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने आज कहा कि वह केन्द्र के साथ बिना शर्त बातचीत के हक में हैं, लेकिन ये भी कहा कि यह बातचीत अगर वाजपेयी सरकार के फार्मूले के अनुसार होगी तो इसकी सफलता की गुंजाइश सबसे ज्यादा होगी।
कश्मीरियों के मीरवाइज अर्थात धार्मिक नेता फारूक ने कहा कि वाजपेयी फार्मूला में सभी पक्षों को शामिल किया गया था। उन्होंने इस संदर्भ में कश्मीरी पृथकतावादी नेताओं को नई दिल्ली के साथ साथ इस्लामाबाद और पाक अधिकृत कश्मीर में उनके समकक्षों के साथ एक साथ संवाद की इजाजत दिए जाने का जिक्र किया।
अपने आवास पर पीटीआई-भाषा के साथ एक मुलाकात में मीरवाइज ने कहा, हम बातचीत के लिए एक ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिसमें हर किसी को शामिल किया जाए। हम इसे महज तस्वीरें खिंचवाने का मौका ही नहीं बन जाने देना चाहते। उन्होंने कहा, हमें बातचीत का सिलसिला शुरू करना चाहिए। नतीजे की फिक्र नहीं होनी चाहिए। बस यह प्रक्रिया संजीदा हो।
मीरवाइज (44) ने हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से बातचीत के प्रस्ताव का स्वागत किया था। हालांकि यह पहला मौका है जब उन्होंने इस बात पर खुलकर बात की कि 70 वर्ष से चली आ रही समस्या को सुलझाने के लिए होने वाली बातचीत को सफल बनाने के बारे में वह क्या सोचते हैं।
हालांकि, वाजपेयी सरकार के फार्मूले पर वापस लौटने की उनकी राय से सरकार के इत्तेफाक रखने की गुंजाइश कम ही है क्योंकि इसमें पाकिस्तान को शामिल करने की बात की गई है। मीरवाइज ने साफ तौर पर कहा कि कश्मीर के सभी पक्षों, जिनसे गृहमंत्री बात करने की बात करते हैं, में पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर रियासत के सभी क्षेत्रों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
क्या है वायपेयी फार्मूला?
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कश्मीर समस्या का समाधान इंसानियत, जम्हुरियत और कश्मीरियत के रास्ते पर चलते हुए करना चाहते थे। वाजपेयी के मुताबिक इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की भावना के साथ जम्मू-कश्मीर में शांति, प्रगति और समृद्धि का सिद्धांत लागू करना चाहिए। घाटी के उग्रवादी तत्वों और कश्मीरियों सहित जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक धरातल के सभी वर्गों द्वारा वाजपेयी के इस फार्मूले को सराहा गया।