बेंगलुरु। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार पर खतरा बरकरार है। शनिवार को कांग्रेस और जेडीएस के 13 विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपने से राज्य में 13 माह पुरानी मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार खतरे में पड़ गई है। इस बीच इन बागी विधायकों को मुंबई के होटल ले जाया गया है। सूत्रों के मुताबिक इन्हें कांग्रेस के कोटे के बचे मंत्री पद की पेशकश की गई है। बता दें कि सीएम कुमारास्वामी विदेश दौरे से भारत लौट चुके हैं। फिलहाल वो नई दिल्ली से बेंगलुरु के लिए स्पेशल फ्लाइट में रवाना हो चुके हैं।
कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमत्री सिद्धारमैया ने कहा इस पूरे घटनाक्रम के पीछे भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा इस सबके पीछे भाजपा है। ऑपरेशन कमल के चलते ही यह स्थिति हुई है। उन्होंने बताया कि ये सब जल्द ही खत्म हो जाएगा और कांग्रेस जेडीएस सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
गौरतलब है कि इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सत्तारूढ़ गठबंधन 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत खो देगा क्योंकि गठबंधन के विधायकों की संख्या घट कर 104 हो जाएगी। वहीं, भाजपा के 105 विधायक हैं। इस बीच दिल्ली में भी कर्नाटक सरकार को बचाने के लिए कल से कवायद तेज कर दी गई है। दिल्ली में एक हाईलेवल मीटिंग में कर्नाटक के माहौल पर चर्चा की गई। कर्नाटक के सियासी संकट के लिए रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है।
मुंबई पहुंचे बागी विधायक
इस बीच इस्तीफे की पेशकश करने वाले कांग्रेस और जेडीएस के सभी बागी विधायक मुंबई पहुंचे हैं। इन्हें यहां एक फाइव स्टार होटल में ठहराया गया है। बताया जा रहा है कि बागी एमएलए को ठहराने के लिए मुंबई के रिनेसां होटल में ले जाया गया है। जहां 14 कमरे बुक किये गए हैं। सभी विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर मंगलवार को फैसला लेंगे।
बागियों को मंत्रीपद की पेशकश
कर्नाटक में बागी विधायकों को वापस लाने की रणनीति तेज़ हो गई है। कल बेंगलुरू से लेकर दिल्ली तक इस स्थिति को संभालने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली में गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खडगे बागी विधायकों से बात करेंगे। कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस्तीफा देने वाले विधायकों को कांग्रेस का वफादार बताया। बोले इस्तीफा देने वाले विधायक अपने फैसले पर फिर सोचेंगे। सूत्रों के मुताबिक सरकार में शामिल कांग्रेस कोटे के सभी मंत्री इस्तीफा देंगे। और ये पद बागी विधायकों को सौंपा जाएगा।
देवगौड़ा ने पहले ही की थी भविष्यवाणी
पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री एचडी कुमार स्वामी के पिता एचडी देवगौड़ा पहले ही कर्नाटक सरकार के पतन की भविष्यवाणी कर चुहे हैं। दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बाद से गठबंधन सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। राज्यपाल से मिलने के बाद जद(एस) विधायक ए एच विश्वनाथ ने कहा, ‘‘आनंद सिंह सहित कांग्रेस और जद(एस) के 14 विधायकों ने अपना इस्तीफा(विधानसभा से) स्पीकर को सौंपा है...हम इस विषय को राज्यपाल के संज्ञान में भी लाये हैं।’’
भाजपा पर आरोप
कांग्रेस के विधायक सिंह ने इस हफ्ते की शुरूआत में स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा था। विश्वनाथ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रही। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इस बगावत के पीछे भाजपा का हाथ है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार विधायकों के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रही...। वह लोगों की उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतर पाई।’’इस आरोप पर कि भाजपा ‘‘ऑपरेशन लोटस (भाजपा के चुनाव चिह्न)’’ के जरिए राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है, उन्होंने कहा, ‘‘यह आपकी मनगढ़ंत बात है।’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका कोई भाजपाई पहलू नहीं है। हम सभी वरिष्ठ हैं। कोई ऑपरेशन नहीं हो सकता...हम सरकार की उदासीनता के खिलाफ स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं।’’
ये हैं बागी विधायक
विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन का संख्या बल स्पीकर के अलावा 118 -- कांग्रेस-78, जद(एस)-37, बसपा-1 और निर्दलीय-2 विधायक -- है। इसमें वे विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है। जिन विधायकों को स्पीकर के कार्यालय में देखा गया, उनमें कांग्रेस के रमेश जरकीहोली (गोकक), प्रताप गौड़ा पाटिल (मास्की), शिवराम हेब्बार (येलापुर), महेश कुमाथल्ली (अथानी), बीसी पाटिल (हिरेकेरुर), बिरातिबासवराज (के आर पुरम), एस टी सोम शेखर (यशवंतपुर) और रामलिंग रेड्डी (बीटीएम लेआउट) शामिल हैं। जद (एस) के विधायकों में ए एच विश्वनाथ (हुंसुर), नारायण गौड़ा (के आर पेट) और गोपालैया (महालक्ष्मी लेआउट) शामिल हैं। विश्वनाथ ने हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
लोकसभा चुनाव में मिली थी करारी हार
उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने आशंका जताई थी कि भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर सकती है। हाल ही में हुए आम चुनाव में राज्य की 28 लोकसभा सीटों में कांग्रेस और जद(एस), दोनों दल सिर्फ एक-एक सीट पर ही जीत हासिल कर पाए थे। भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एक सीट पर भगवा पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी।