नई दिल्ली: कर्नाटक में कल कांग्रेस-जेडीएस सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। कुमारस्वामी कल शाम चार बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कर्नाटक में सिर्फ एक ही डिप्टी सीएम होगा। स्पीकर और डिप्टी सीएम दोनों कांग्रेस के होंगे। खबर है कि 33 सदस्यों का मंत्रिमंडल शपथ लेगा लेकिन कांग्रेस कोटे से कितने मंत्री बनेंगे, जेडीएस कोटे से कैबिनेट में किसे जगह मिलेगी ये सब तय करने के लिए आज बेंगलुरु में दोनों दलों की अहम बैठक हुई।
कुमारस्वामी ने कल दिल्ली आकर राहुल-सोनिया से मुलाकात की और उन्हें शपथग्रहण समारोह में आने का न्योता दिया। ख़बर थी कि इस मुलाकात में मंत्रिमंडल की रुपरेखा तय होगी लेकिन कुमारस्वामी ने दावा किया था कि कैबिनेट पर अंतिम मुहर दिल्ली में नहीं बेंगलुरु में लगेगी। कुमारस्वामी ने बताया था कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के इंचार्ज वेणुगोपाल जी को सरकार बनाने से जुड़े फैसले लेने का अधिकार दिया है, वो बातचीत कर इसे अंतिम रूप देंगे। मंत्री पद पर तो खींचतान है ही, डिप्टी सीएम पर भी फाइनल फैसला नहीं हो पाया है।
कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को बीजेपी से दूर रख कर कांग्रेस नेता डीके शिव कुमार ने गठबंधन सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी। शिवकुमार पहले भी कई बार कांग्रेस के संकटमोचन रह चुके हैं। लिहाजा, उन्होंने डिप्टी सीएम का पद मिलने की उम्मीद पाल रखी है लेकिन उनके डिप्टी सीएम बनने पर संदेह पैदा हो गया है क्योंकि कुमारस्वामी और डीके शिवकुमार दोनों वोकालिगा समाज से हैं और येदियुरप्पा सरकार गिरने से लिंगायत नाराज़ हैं। अगर सीएम और डिप्टी सीएम दोनों वोकालिगा हुए तो लिंगायत और भी नाराज होंगे और लिंगायत विधायकों को एकजुट रखना मुश्किल हो जाएगा। लिहाजा, कांग्रेस लिंगायतों को कैबिनेट में ज्यादा जगह देना चाहती है।
मन मुताबिक पद नहीं मिलने से पूरी ज़िंदगी देवगौड़ा परिवार के ख़िलाफ़ सियासी जंग लड़ने वाले डीके शिवकुमार थोड़े नाराज़ हैं और उनकी नाराज़गी झलकने भी लगी है। शिवकुमार ने कहा कि राहुल गांधी ने फैसला लिया है कर्नाटक में एक धर्मनिरपेक्ष सरकार बननी चाहिए। इस समय कांग्रेस महत्वपूर्ण नहीं है इसलिए हमने ये स्टैंड लिया है। मुझे सारी कड़वाहट दूर करनी है। ये मेरा कर्तव्य है। एक तरफ मंत्रिमंडल पर मंथन चल रहा है तो दूसरी तरफ विधायकों को टूट से बचाने की कवायद अब भी जारी है। कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को अब भी घर जाने की इजजात नहीं मिली है। सभी 117 विधायकों को बैंगलोर के एक प्राइवेट रिसॉर्ट में रखा गया है और उन्हें आज़ादी तभी मिलेगी जब कुमारस्वामी विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर लेंगे।
बहुमत साबित होने के बाद भी विधायकों को एकजुट रखने और गठबंधन बरकरार रखने के लिए दोनों दलों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा क्योंकि कर्नाटक का ये फॉर्मला कामयाब रहा तभी 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में मोदी विरोधी ऐसे और भी गठबंधन बनाए जा सकेंगे। कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया-राहुल तो रहेंगे ही, मायावती भी पहुंच रही हैं। कई और विपक्षी दलों के भी बड़े नेता कल बेंगलुरु में मौजूद रहेंगे। कर्नाटक पर तो कब्जा हो गया अब सपना 2019 में केंद्र में भी सरकार बनाने का है।