नई दिल्ली: कांग्रेस ने आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद अपनी सत्ता बरकरार रखने का भरोसा जताते हुए भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया है कि इस ‘शांतिप्रिय राज्य’ का सांप्रदायिक सद्भाव ‘विषाक्त’ करने का भगवा दल का दांव उल्टा पड़ेगा। कांग्रेस के प्रवक्ता एवं कनार्टक से राज्यसभा सदस्य एम. वी. राजीव गौड़ा ने कहा, ‘बांटना बीजेपी की रणनीति है, और हमारी कोशिश इस बंटवारे को रोक कर लोगों को एकजुट करने की है।’ उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया इस चुनाव को दोबारा जीत कर इस अंधविश्वास को गलत साबित करेंगे कि जो कर्नाटक जीतता है, वह भारत में हार जाता है। उन्होंने कहा कि यह चलन पूर्व मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े के समय से चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ना सिर्फ कर्नाटक विधानसभा बल्कि 2019 का लोकसभा चुनाव भी जीतेगी।
गौड़ा ने कहा, ‘कुछ तत्व कर्नाटक का सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास करते रहे हैं। फिर चाहे वह हुबली-ईदगाह मैदान विवाद हो, धर्म के नाम पर लोगों को एक-दूसरे से मिलने से रोकने पर बाधा खड़ी करना हो, या दत्तात्रेय मंदिर से जुड़ा विवाद हो, विभिन्न समुदायों को आपस में लड़ाने के प्रयास चलते रहे हैं। किंतु वे सफल नहीं हो पाए।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि कर्नाटक की मूल भावना और परंपरा भाईचारे पर आधारित और सर्व-समावेशी रही है। यह ऐसा शांतिप्रिय राज्य है जिसे वे आसानी से विषाक्त नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी राज्य के माहौल को सांप्रदायिक करने का जो प्रयास कर रही है, उसका यह दांव उल्टा पड़ेगा। बीजेपी योगी आदित्यनाथ को वहां लेकर जा रही है, घृणा भरे संदेश फैलाए जा रहे हैं। शहरी इलाकों में बीजेपी का कुछ आधार हो सकता है।’
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि राज्य के युवा कह रहे हैं कि हमें ‘एंटी रोमियो दस्ता’ नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि कोई हमें यह बताए कि क्या खाना चाहिए, क्या पहनना चाहिए और किसके साथ बाहर जाना चाहिए। धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही बीजेपी का यह दांव उल्टा पड़ेगा।’ कर्नाटक के लिए अलग झंडे के मुद्दे पर छिड़े विवाद और इसके चलते अन्य राज्यों में अपने झंडे की होड़ लग जाने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर गौड़ा ने कहा, ‘कर्नाटक इतिहास और संस्कृति के मामले में बहुत ही समृद्ध राज्य है और इसे लेकर राज्य के लोगों में काफी गर्व की भावना भी है। साल 1956 में हमारे राज्य की स्थापना भाषाई आधार पर की गयी थी। यह कन्नड़ भाषी लोगों का राज्य बना। किन्तु इसका यह मतलब नहीं कि हम देशभक्त नहीं हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हम सभी को भारतीय होने पर गर्व है। साथ ही हमें अपने हल्दी-कुमकुम के रंगों वाले ध्वज को फहराने में गर्व महसूस होता है। कश्मीर के अलावा देश के किसी राज्य में अलग झंडा नहीं है। किंतु कश्मीर का मामला जटिल है जबकि हम तो केवल अपनी संस्कृति पर गर्व के कारण यह करना चाहते हैं।’ सांसद ने कहा, ‘इसमें अन्य राज्यों से झगड़े की कोई बात नहीं है। यहां शिवसेना द्वारा मुंबई में बिहार के लोगों पर हमला बोलने जैसी कोई बात नहीं है। हमारे यहां किसी के लिए मनाही नहीं है।’
गौड़ा ने कहा कि किसी राज्य का अपना अलग ध्वज होने का मतलब संघवाद की भावना से अलग हटना नहीं है। संघवाद का मूल अर्थ ही यही है कि हर राज्य अपनी संस्कृति, भाषा और जन आंकाक्षाओं के अनुरूप चल सके। कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार द्वारा गठित एक समिति ने राज्य के लिए एक अलग झंडे की सिफारिश की और साथ ही इसमें किसी भी संवैधानिक या कानूनी बाधा से इनकार किया है। 9 सदस्यीय समिति ने हाल में अपनी एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें राज्य के लिए एक अलग ध्वज की सिफारिश की गई है। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल मई 2018 को समाप्त होगा।