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PM मोदी का लंदन से कर्नाटक साधने की तैयारी, बासवेश्‍वरा का दर्शन कर करेंगे लिंगायत वोट की राजनीति

लिंगायत समाज अब तक बीजेपी का कोर वोटर समझा जाता रहा है जिसपर सिद्धारमैया ने मास्टर स्ट्रोक लगाते हए इस समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग मान ली है। कांग्रेस के इस कदम को लिंगायत समाज के कई मठों का समर्थन भी हासिल हो गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 18, 2018 12:16 IST
Karnataka Elections 2018: PM Modi to pay tribute to Lingayat saint's statue in London- India TV Hindi
PM मोदी का लंदन से कर्नाटक साधने की तैयारी, बासवेश्‍वरा का दर्शन कर करेंगे लिंगायत वोट की राजनीति  

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विदेश दौरे के दूसरे चरण में ब्रिटेन पहुंच गए हैं जहां से वो कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर भी नजर बनाए हुए हैं। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव से पहले चर्चा का केंद्र बने लिंगायत समुदाय के संत बसवेश्वर की प्रतिमा पर वह श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। टेम्स नदी के किनारे लगी इस प्रतिमा का अनावरण भी पीएम मोदी ने ही नवंबर, 2015 की अपनी यात्रा के दौरान किया था।

12वीं सदी लिंगायत समुदाय के दार्शनिक और सबसे बड़े समाज सुधारक बासवेश्‍वरा की आज जयंती है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तहत बीजेपी इस मौके को अपने हाथों से निकलने नहीं देना चाहती है। पीएम मोदी ने लंदन से ट्वीट करके कहा, मैं भगवान बासवेश्‍वरा की जयंती के मौके पर नमन करता हूं। हमारे इतिहास और संस्कृति में उनका विशेष स्थान है। सामाजिक सद्भाव, भाईचारा, एकता और सहानुभूति पर उनका जोर हमेशा हमें प्रेरणा देता है। भगवान बासवेश्‍वरा ने हमारे समाज को एक किया और ज्ञान को महत्व दिया।

लिंगायत समाज अब तक बीजेपी का कोर वोटर समझा जाता रहा है जिसपर सिद्धारमैया ने मास्टर स्ट्रोक लगाते हए इस समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग मान ली है। कांग्रेस के इस कदम को लिंगायत समाज के कई मठों का समर्थन भी हासिल हो गया है। ऐसे में सिद्धारमैया की इस सेंध ने बीजेपी को भी आक्रामक कर दिया है। बीजेपी ने सिद्धारमैया पर वोटबैंक के लिए समाज को बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

बता दें कि उत्तर भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण की राजनीति में भी जाति और धर्म की बुनियाद पर सियासी तानाबाना बुना जाता है। कर्नाटक की सियासत में लिंगायत समुदाय किंग मेकर मानी जाती है। लिंगायत के दौर में कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक रहा है, लेकिन1989 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो राजीव गांधी ने एक विवाद के चलते तब के सीएम वीरेंद्र पाटिल को पद से हटा दिया। कांग्रेस के इस कदम से लिंगायत समुदाय में आक्रोश की भावना जगी और उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के रामकृष्णा हेगड़े का समर्थन किया। हेगड़े के निधन के बाद बीएस येदियुरप्पा लिंगायतों के नेता बनें।

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