बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के करीब एक सप्ताह बाद बसवराज बोम्मई ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमें 29 मंत्रियों को शामिल किया गया है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने राजभवन में नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए मंत्रियों के विभागों की घोषणा अगले एक-दो दिन में कर दी जाएगी। बोम्मई ने अपने मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों को ही तरजीह दी है और 23 ऐसे विधायकों को मंत्री बनाया है जो पूर्ववर्ती बीएस येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में भी मंत्री थे जबकि 6 नए चेहरों को शामिल किया गया है।
बोम्मई की सरकार में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं
हालांकि, पूर्ववर्ती येदियुरप्पा सरकार में 3 उपमुख्यमंत्रियों के उलट बोम्मई सरकार में किसी को भी उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री किसी को उपमुख्यमंत्री बनाने के खिलाफ थे। पार्टी नेतृत्व ने उनके राय से सहमति जताई क्योंकि इस पद के लिए कई आकांक्षी थे और इससे पार्टी और सरकार में आने वाले दिनों में दरार पैदा हो सकती थी। इस बीच, ऐसा लगता है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व येदियुरप्पा के दबाव के बावजूद उनके छोटे बेटे और कर्नाटक में पार्टी के उपाध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र को मंत्रिमंडल में शामिल करने को सहमत नहीं हुआ।
‘विजयेंद्र का नाम आज की सूची में शामिल नहीं’
विजयेंद्र के सवाल पर बोम्मई ने कहा, ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष ने येदियुरप्पा से और राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह ने विजयेंद्र से व्यक्तिगत रूप से बात की थी। मैं इतना ही कह सकता हूं कि विजयेंद्र का नाम आज की सूची में शामिल नहीं है।’ येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में शामिल गोविंद कारजोल (मुधोल), केएस ईश्वरप्पा(शिमोगा), आर अशोक (पद्मनाभनगर), सीएन अश्वथ नारायण (मल्लेश्वरम), बी श्रीरामुलु (मोल्कालमुरु), उमेश कट्टी(हुक्केरी), एसटी सोमशेखर (यशंवतपुर), के सुधाकर (चिक्काबल्लापुरा) और बीसी पाटिल (हीराकेरुरु) को बोम्मई ने भी अपनी सरकार में जगह दी है।
28 जुलाई को बोम्मई ने ली थी सीएम पद की शपथ
बोम्मई ने येदियुरप्पा सरकार में शामिल जेसी मधुस्वामी (चिक्कनयाकनाहल्ली), प्रभु चौहान(औरद), वी सोमन्ना (गोविंदराज नगर),एस अंगारा (सुल्लिया), आनंद सिंह (विजयनगरा), सीसी पाटिल(नारगुंड), एमटीबी नागराज (विधान पार्षद) और कोटा श्रीनिवास पुजारी (विधान पार्षद) को भी दोबारा मंत्री बनाया है। इनके अलावा वी सुनील कुमार (करकला), अरगा जनेंद्र(तीर्थहल्ली), मुनिरत्ना (आरआर नगर), हलप्पा अचार (येलबुर्गा), शंकर पाटिल मुनेनकोप(नवलगुंडा) और बीसी नागेश(टिपतुर) नए चेहरे हैं जिन्हें बोम्मई सरकार में जगह मिली है। गौरतलब है कि येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बोम्मई को पिछले सप्ताह भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था और 28 जुलाई को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
बोम्मई मंत्रिमंडल में लिंगायत समुदाय के 8 मंत्री शामिल
मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों में प्रभाशाली लिंगायत समुदाय के 8 मंत्री शामिल हैं और मुख्यमंत्री को मिलाकर कर्नाटक मंत्रिमंडल में समुदाय के 9 सदस्य हो गए हैं। शशिकला जोल्ले एकमात्र महिला मंत्री हैं और वह भी लिंगायत समुदाय की हैं। बोम्मई सरकार में शामिल नए कैबिनेट मंत्रियों में लिंगायत समुदाय के 8 मंत्रियों के अलावा, वोक्कालिगा के 7, अन्य पिछड़ा वर्ग के 7, अनुसूचित जाति के 3, ब्राह्मण समुदाय के 2, अनुसूचित जनजाति-रेड्डी समुदाय का एक-एक मंत्री है । बोम्मई ने ‘अपने वादे’ को पूरा करते हुए वर्ष 2019 में कांग्रेस और जनता दल (एस) छोड़कर बीजेपी में आए 10 विधायकों को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है। इन विधायकों के पाला बदलने से राज्य में भगवा पार्टी की सरकार बनी थी।
श्रीमंत पाटिल और आर. शंकर को मंत्रिमंडल में जगह नहीं
येदियुरप्पा सरकार में पाला बदलकर आने वाले 11 विधायकों को मंत्री बनाया गया था जिनमें से श्रीमंत पाटिल और आर शंकर को बोम्मई मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है जबकि मुनिरत्ना को मंत्री बनाया गया है। येदियुरप्पा सरकार में मंत्री रहे 7 विधायकों को बोम्मई सरकार में जगह नहीं मिली है जिनमें जगदीश शेट्टार (जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर वरिष्ठ होने की वजह से मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला लिया), सुरेश कुमार, लक्ष्मण सावडी, अरविंद लिम्बावली, सीपी योगेश्वर, श्रीमंत पाटिल और आर. शंकर शामिल हैं। कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को नयी सरकार में जगह नहीं देने के सवाल पर बोम्मई ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने सांगठनिक अनुभव वाले कुछ वरिष्ठ नेताओं को पार्टी कार्यों के लिए सरकार से अलग रखने का फैसला किया।
बेंगलुरु के 7 विधायकों को मिली मंत्रिमंडल में जगह
इस बीच, कैबिनेट विस्तार के बाद ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ बीजेपी के भीतर असंतोष पनप रहा है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के मंत्रिमंडल में जगह नहीं पाने वाले नेताओं और उनके समर्थकों ने खुले तौर पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। वहीं कई जिलों को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। तेरह जिलों - मैसूरू, कलबुर्गी, रामनगर, कोडागु, रायचूर, हासन, विजयपुरा, बेल्लारी, दावणगेरे, कोलार, यादगीर, चिक्कमगलुरु और चामराजनगर को कैबिनेट में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। बेंगलुरु शहर को मंत्रिमंडल में ब़डी हिस्सेदारी मिली है और शहर के 7 विधायकों को मंत्री बनाया गया है।
‘केवल 34 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है’
बोम्मई ने कहा, ‘सभी हमारे लोग हैं। केवल 34 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। इसकी वजह से कुछ को हटाया गया है जबकि कुछ को शामिल किया गया है। मैं उनसे (नाराज विधायकों से) बात करूंगा ओर उन्हें मनाने की कोशिश करूंगा। भविष्य में अवसर आने पर उन्हें मौका दिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा मंत्रियों को विकास के लिए उन जिलों का प्रभारी बनाया जाएगा जिनका प्रतिनिधित्व नहीं है। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल विस्तार को अंतिम रूप देने के लिए बोम्मई और पार्टी के केंद्रीय नेताओं के बीच गत कुछ दिन से दिल्ली में माथापच्ची चल रही थी। बोम्मई ने कहा कि मंत्रिमंडल का गठन जनहितकारी प्रशासन देने और आगामी चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है।
‘मंत्रियों के विभागों का आवंटन करने में देरी नहीं होगी’
जब मंत्रिमंडल विस्तार के पार्टी कमान की भूमिका के बारे में पूछा गया तो बोम्मई ने कहा, ‘‘हमारी राष्ट्रीय पार्टी है। विचार विमर्श होता है। उनसे विचार-विमर्श कर मैंने यह किया है।’ उन्होंने कहा कि शपथ लेने वाले मंत्रियों के विभागों का आवंटन करने में देरी नहीं होगी और एक-दो दिन में यह कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा,‘यह मेरे द्वारा किया जाएगा और मैं इसे करूंगा।’ इसके साथ ही उन्होंने उन खबरों को खारिज कर दिया कि कई मंत्रियों ने अपने पुराने विभागों की मांग की है। रोचक तथ्य है कि कथित तौर पर येदियुरप्पा विरोधी गतिविधियों में शामिल या बयान देने वाले विधायकों जैसे बसनगौड़ा पाटिल यतनाल, सीपी योगेश्वर और अरविंद बेल्लाड को बोम्मई मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है।
एमपी रेणुकाचार्य को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली
इसके साथ ही येदियुरप्पा के विश्वासपात्र होने का दावा करने वाले और उनके समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाने वाले एमपी रेणुकाचार्य को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से ऐसी गतिविधियों में शामिल होने वालों को स्पष्ट संदेश दिया गया है। मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद हुई मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यह फैसला लिया गया कि सभी मंत्री कोविड-19 और बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिये उन जिलों का दौरा करेंगे जिनकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है और राहत कार्य के लिए अतिरिक्त सहायता की जरूरत संबंधी जानकारी देंगे। (भाषा)