Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राजनीति
  4. मांझी, ओवैसी की नजदीकी से बिहार में नए सियासी समीकरण के संकेत

मांझी, ओवैसी की नजदीकी से बिहार में नए सियासी समीकरण के संकेत

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सियासी समीकरण बदलने के संकेत मिलने लगे हैं।

Reported by: IANS
Published : December 27, 2019 14:12 IST
मांझी, ओवैसी की नजदीकी से बिहार में नए सियासी समीकरण के संकेत
मांझी, ओवैसी की नजदीकी से बिहार में नए सियासी समीकरण के संकेत

पटना: बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सियासी समीकरण बदलने के संकेत मिलने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(हम) के प्रमुख जीनतराम मांझी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी दो दिन बाद साथ में मंच साझा करने वाले हैं। इसे लेकर अब तरह-तरह के कयास लगने लगे हैं। बिहार की सियासत में यह बात अभी से हवा में तैरने लगी है कि विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गठबंधन कर मैदान में उतर सकते हैं।

Related Stories

उल्लेखनीय है कि 29 दिसंबर को बिहार के किशनगंज में नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के विरोध में आयोजित एक रैली में दोनों नेता मंच साझा करेंगे। बिहार के सीमांचल इलाके में ओवैसी की पार्टी की मजबूत पकड़ है। मांझी की हम भी इस इलाके में मजबूत होने में लगी है।

इस मामले में हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान कहते हैं कि "29 दिसंबर को दोनों नेता साथ में एक मंच से लोगों को संबोधित करेंगे, परंतु आनेवाले चुनाव में क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। चुनाव के वक्त देखा जाएगा।"

फिलहाल कांग्रेस, राजद सहित अन्य दलों के महागठबंधन में शामिल हम के बिहार चुनाव से पहले एआईएमआईएम के साथ आने से राज्य की राजनीति का प्रभावित होना तय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि चुनाव मैदान में एआईएमआईएम के आने से मुस्लिम वोटों का बिखराव भी होगा, जिसका फायदा जद (यू) और भाजपा गठबंधन को होगा।

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने इस समीकरण से भाजपा को लाभ पहुंचने की बात कही है। उन्होंने कहा, "मांझी जैसे दिग्गज नेता को यह समझना चाहिए कि बिहार के बाहर जहां भी ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उन्होंने केवल भाजपा की मदद की है और अगर मांझी की यही मंशा है तो अच्छा होगा कि वह राजग में वापस चले जाएं।"

बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद्र मिश्र ने तो साफ तौर पर एआईएमआईएम को भाजपा की बी टीम बताया है। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम चुनाव मैदान में भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए उतरती है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि ओवैसी की विभाजनकारी राजनीति पूरी तरह से मुसलमानों के उकसावे पर आधारित है, जो बिहार में सफल नहीं होगी।

इस बीच, हम के एक नेता ने कहा है कि अगर जीतन राम मांझी के साथ ओवैसी का गठबंधन होता है तो दलित और मुस्लिम का एक नया समीकरण बन सकता है। उन्होंने कहा कि इससे जहां बिहार में दलितों और मुस्लिमों के विकास में मदद मिलेगी।

सूत्र बताते हैं कि मुस्लिम समुदाय को राजद का वोटबैंक माना जाता है। ऐसे में बिहार में ओवैसी की पार्टी के मजबूत होने से निश्चित तौर पर राजद को झटका लग सकता है।

उल्लेखनीय है कि हम और एआईएमआईएम दोनों बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने में लगे हैं। ऐसे में इन दोनों दलों के साथ आने से बिहार में नए सियासी समीकरण से इंकार नहीं किया जा सकता है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement