पटना: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे को लेकर बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच खींचतान शुरू हो गई है। राज्य की 40 लोकसभा सीटों में एक बड़े हिस्से पर जेडीयू और भाजपा अपनी-अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश कर रही है। जेडीयू इस बात पर जोर दे रहा है कि बिहार में गठबंधन के नेता नीतीश कुमार हैं और यह राज्य में बड़ा साझेदार है। इसके जरिए वह संकेत दे रहा है कि उसे सीटों का बड़ा हिस्सा मिलना चाहिए। वहीं, इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा ने आज कहा कि वह इस बात से सहमत है कि राज्य में राजग का चेहरा नीतीश ही हैं लेकिन लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, इसलिए भगवा पार्टी सीटों का बड़ा हिस्सा मांग रही है।
इस पूरी बहस का मुख्य विषय यह है कि क्या 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन को देखा जाए, जब वह राजग से बाहर था। या फिर 2015 के विधानसभा चुनावों में उसके प्रभावी प्रदर्शन पर गौर किया जाए। हालांकि, विधानसभा चुनाव उसने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर लड़ा था। दोनों पार्टियों (जेडीयू और भाजपा) ने जब साल 2009 का लोकसभा चुनाव साथ मिल कर लड़ा था तब जेडीयू ने 22 और भाजपा ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जेडीयू ने 25 सीटों और भाजपा ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने यहां संवाददाताओं से कहा कि नीतीश बिहार में हमेशा ही एनडीए के नेता रहे हैं। जेडीयू हमेशा ही बड़ा साझेदार दल और प्रदेश में बड़ा भाई रहा है। इसमें कुछ भी नया नहीं है। उन्होंने कल हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद पार्टी के नेता केसी त्यागी और पवन वर्मा के रूख के अनुरूप यह बात कही। दरअसल, मीडिया के एक धड़े में यह खबर आई थी कि पार्टी की कोर कमेटी की एक बैठक में यह कहा गया कि जेडीयू बिहार में बड़े भाई की भूमिका निभाएगा, जैसा कि भाजपा दिल्ली में निभाती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या जेडीयू अधिक संख्या में सीटों के लिए दबाव बनाएगा, आलोक ने कहा, ‘‘ अतीत में, ऐसे मौके रहे हैं जब बिहार में जेडीयू ने 40 में 25 सीटों पर चुनाव लड़ा और भाजपा 15 सीटों पर लड़ी।’’ इस बीच, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मांग की है कि सीटों के बंटवारे पर यथाशीध्र फैसला किया जाए। समझा जाता है कि लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष यह मुद्दा उठाया , जब उन्होंने पिछले हफ्ते दिल्ली में उनसे मुलाकात की।
वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने जेडीयू की बैठक पर चुटकी भी ली है। तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, 'सुशील मोदी बताएं कि क्या नीतीश जी बिहार में नरेंद्र मोदी से बड़े और ज्यादा प्रभावशाली नेता हैं?, नीतीश के प्रवक्ता सुशील मोदी क्या अब भी जेडीयू के हाथों अपने सबसे बड़े नेता को बेइज्जत कराते रहेंगे?'
नीतीश के 2013 में एनडीए से अलग होने के बाद लोजपा और रालोसपा जैसी छोटी पार्टियां एनडीए में शामिल हुई थी तथा एनडीए ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 31 सीटें जीती थी। इसमें भाजपा ने 22 सीटें जीती थी। उधर, भाजपा नेताओं ने जेडीयू के रूख को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की। बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने दिल्ली में संवाददातओं से कहा, ‘‘देश में नरेंद्र मोदी एनडीए का चेहरा हैं जबकि नीतीश कुमार बिहार में इसके नेता हैं। सीटों का बंटवारा कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, जब हमारे दिल मिल गए, समय आएगा तो हम साथ बैठ कर फैसला कर लेंगे।’’
वहीं, नीतीश के कटु आलोचक माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि वह (नीतीश) राज्य के मुख्यमंत्री हैं और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। कुछ लोग इसमें विवाद करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं। राजद से नाता तोड़ कर भाजपा में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री राम कृपाल यादव ने कहा, ‘‘मैं सीट बंटवारे पर टिप्पणी नहीं कर सकता लेकिन लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।’’ बता दें कि एनडीए की बृहस्पतिवार को एक बैठक होने का कार्यक्रम है।